क्रिप्टोकरेंसी के लिए एक ऐतिहासिक मील का पत्थर ये है कि बिटकॉइन की कीमत हाल ही में एक लाख अमेरिकी डॉलर के पार पहुंच गई। इस उछाल का श्रेय मुख्य रूप से अमेरिका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के क्रिप्टो समर्थक रुख को दिया जा रहा है। इसने निवेशकों का भरोसा फिर से जगा दिया है। सहायक विनियमनों और संभावित राष्ट्रीय बिटकॉइन रिजर्व के उनके वादे ने निवेशकों के बीच एक आशावादी नजरिया पैदा किया है। इससे इस डिजिटल करेंसी की मांग बढ़ गई है।
क्रिप्टोकरेंसी को कभी शक की नजर से देखने वाले डोनाल्ड ट्रंप ने अब अमेरिका को 'क्रिप्टो कैपिटल ऑफ द प्लेनेट' बनाने और बिटकॉइन का 'रणनैतिक भंडार' बनाने का संकल्प लिया है। ट्रंप के चुनावी कैंपेन में क्रिप्टोकरेंसी में डोनेशन स्वीकार किया गया और उन्होंने जुलाई में हुए बिटकॉइन कॉन्फ्रेंस में प्रशंसकों को आकर्षित किया।
उन्होंने क्रिप्टोकरेंसी का व्यापार करने के लिए परिवार के सदस्यों के साथ मिलकर एक नया वेंचर, वर्ल्ड लिबर्टी फाइनेंशियल भी शुरू किया। क्रिप्टो इंडस्ट्री से जुड़े लोगों ने राष्ट्रपति चुनाव में ट्रंप की जीत का स्वागत इस उम्मीद के साथ किया है कि वे विधायी और नियामक बदलावों को आगे बढ़ाने में सक्षम होंगे, जिनके लिए वे लंबे वक्त से पैरवी कर रहे थे।
हालिया उछाल क्रिप्टोकरेंसी बाजार के लिए टर्निंग प्वाइंट साबित होने का संकेत देता है। बिटकॉइन की कीमत अब एक लाख अमेरिकी डॉलर से ज्यादा हो गई है। इससे संस्थागत दिलचस्पी और ज्यादा बढ़ सकती है और खुदरा निवेशकों के बीच इसे व्यापक रूप से अपनाने को बढ़ावा मिल सकता है। जानकारों का मानना है कि सकारात्मक भावना की वजह से दूसरी क्रिप्टोकरेंसी में भी निवेश बढ़ सकता है। इससे ये संकेत मिलता है कि क्रिप्टो बाजार विकास और स्थिरता के एक नए चरण में प्रवेश कर रहा है।
बिटकॉइन को 2009 में लॉन्च किया गया। अमेरिकी चुनाव के दिन एक बिटकॉइन की कीमत 69,374 अमेरिकी डॉलर थी जो इस हफ्ते के शुरू में बढ़कर 101,512 अमेरिकी डॉलर पर पहुंच गई। जबकि दो साल पहले क्रिप्टो एक्सचेंज एफटीएक्स के लुढ़कने के बाद ये 17,000 अमेरिकी डॉलर से नीचे गिर गई थी।