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Mahatma Gandhi: जब महात्मा गांधी ने किया था क्रिकेट टूर्नामेंट का विरोध, जानें क्या है ये किस्सा

देश में इस वक्त वर्ल्ड कप चल रहा है और पूरी दुनिया की नज़रें इस टूर्नामेंट पर टिकी हुई हैं. क्या हिन्दुस्तान 12 साल के बाद वर्ल्ड कप की ट्रॉफी जीत पाएगा या नहीं, ये सवाल हर किसी के मन में है. खैर, आज 2 अक्टूबर भी है और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती मनाई जा रही है. ऐसे में हम आपको महात्मा गांधी और क्रिकेट का एक खास कनेक्शन बताते हैं, जिसकी बात हमेशा की जाती है. आजादी से पहले एक ऐसा टूर्नामेंट था, जो काफी पॉपुलर था लेकिन खुद महात्मा गांधी ने उसका विरोध किया था. आपको पूरा किस्सा बताते हैं…

टीमों के नाम से ही पता लगता है कि किस तरह सभी खिलाड़ियों को धर्म के आधार पर बांटा गया था. इसका शुरुआत से ही विरोध होता रहा था, हालांकि इस बीच भी टूर्नामेंट चलता गया. 1940 के करीब जब द्वितीय विश्व युद्ध हुआ, उस वक्त दुनियाभर में मातम पसरा था क्योंकि उसका असर पूरी दुनिया पर पड़ रहा था. भारत के भी कई सैनिकों की वहां मौत हुई थी, ऐसे में मातम के बीच किसी भी तरह के खेल या जश्न का विरोध हो रहा था. इसके अलावा भारत में आजादी का आंदोलन चरम पर था, ऐसे में हर किसी की कोशिश एकजुट होने की थी.

इसी दौर में जब बॉम्बे पेंटाग्युलर कप का खुलेआम विरोध शुरू हुआ तो इसमें महात्मा गांधी की एंट्री हुई. उस दौर के कई क्रिकेटर, अखबार और अन्य क्लबों ने इस टूर्नामेंट का विरोध किया, क्योंकि ये धार्मिक लड़ाई को जन्म दे रहा था. हर किसी से अपील की जा रही थी कि लोग इस टूर्नामेंट को छोड़कर रणजी ट्रॉफी को देखें, विरोध का ये मामला महात्मा गांधी तक पहुंचा. जब हिन्दू जिमखाना ग्रुप के कुछ सदस्यों ने उनसे संपर्क किया और इस टूर्नामेंट के खिलाफ आपत्ति जाहिर की.