22 जनवरी को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा के मुख्य यजमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं. किसी भी बड़े अनुष्ठान को करने से पहले यजमान को निष्ठा में होना पड़ता है.
पंडित दुर्गा प्रसाद ने बताया कि यजमान और ब्राह्मण दोनों में से किसी को भी पलंग अथवा सुंदर बिस्तर पर नहीं सोना हेता है. उन्होंने कहा कि सोने के लिए जमीन पर कुश का आसन लगाया जाता है जिस पर अनुष्ठान करने वाला व्यक्ति सोता है. पूरे 24 घंटे में केवल चार से पांच घंटे ही सोना होता है.
लज़ीज भोजन पर मनाही
जो कोई भी अनुष्ठान पर होता है, उसे सात्विक भोजन करना होता है. इसमें कंद मूल फलाहार सर्वोत्तम माना जाता है. इस दौरान पूरी तरह से निरामिष भोजन किया जाता है. इसे अनुष्ठान का एक अंग माना जाता है.
ब्रह्ममुहूर्त से सुबह की शुरुआत
यजमान और पंडित दोनों को सुबह ब्रह्ममुहूर्त में उठना होता है. स्नान के बाद से पूजा पाठ का कार्यक्रम शुरू हो जाता है. इस दिनचर्या में योग भी शामिल है. ध्यान पूजा पाठ का विशेष ध्यान रखना पड़ता है.
सात्विक वस्त्र पहनते है
दुर्गा प्रसाद ने बताया कि यजमान को वस्त्र धारण करने से पहले काफी संयम बरतना होता है. उन्होंने कहा कि सबसे पहले श्वेत वस्त्र धारण करने का रिवाज है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रोटोकॉल भी होता है, ऐसे में दिन के समय काम के हिसाब से वह वस्त्र पहनेंगे. जनेऊ पहनना अनिवार्य होता है.