दोनों ही नवरात्र मौसमों के संक्रमण काल में आती है. यही वो समय है जब हम बीमार पड़ते हैं. इसलिए हमारे ऋषि-मुनियों ने धार्मिक अनुष्ठान के साथ 9 दिन व्रत उपवास रखने का प्रावधान किया है. कहते हैं कि नौ दिनों तक अगर फलाहार करके उपवास कर लिया जाए तो शरीर से रोग-विकार निकल जाते हैं. यही नहीं, अगले 6 महीने तक शरीर बीमारियों से लड़ने के लिए भी तैयार हो जाता है. इसके अलावा, धार्मिक अनुष्ठान से आत्मिक शुद्धि भी हो जाती है.