सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम मामले में फैसला सुनाया है. आत्महत्या के लिए उकसाने से जुड़ा यह मामला था. कोर्ट ने इस मामले में कहा है कि किसी व्यक्ति को आत्महत्या के लिए उकसाने का दोषी तभी ठहराया जा सकता है जब उकसावा ऐसा हो कि पीड़ित के पास कोई दूसरा रास्ता ही न बचे और उकसावे की घटना के फौरन बाद ही उस शख्स ने आत्महत्या कर लिया हो. कोर्ट ने पहले कहा था कि सिर्फ चुभने वाली भाषा को आधार बनाकर आत्महत्या के लिए उकसाने का दोषी नहीं माना जा सकता.
न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की पीठ इस मामले को सुन रही थी. ये मामला अशोक कुमार की पत्नी से जुड़ा था जो अब दुनिया में नहीं हैं. अशोक की पत्नी ने 40 हजार के करीब रुपये संदीप बंसल नाम के शख़्स से उधार लिया था. पैसा न चुका पाने की सूरत में अशोक ने संदीप से समय मांगा. कहते हैं जिसने कर्ज दिया था, उस संदीप ने अशोक के साथ बुरा बर्ताव किया. बाद में अशोक की पत्नी ने अपनी जान ले ली.