लोकसभा चुनाव का भले ही औपचारिक ऐलान न हुआ हो, लेकिन सियासी बिसात बिछ चुकी है और शह-मात का दांव भी खेले जाने लगा है. बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए से नाता तोड़कर अलग हो चुके एक-एक सहयोगी दलों की वापसी शुरू हो चुकी है. नीतीश कुमार की जेडीयू, ओम प्रकाश राजभर की सुभासपा की वापसी के बाद अब चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी, जयंत चौधरी की आरएलडी और सुखबीर सिंह बादल की अकाली दल एनडीए की सवारी करने की तैयारी है. जिसकी पटकथा लिखी जा चुकी है. तो उद्धव ठाकरे का मन इन दिनों डगमगा रहा है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या उद्धव ठाकरे की अब बारी है
उद्धव ठाकरे ने तीन दिन पहले कोंकण में मीडिया से बात करते हुए कहा था, ‘मैं मोदीजी को बताना चाहता हूं कि हम कभी भी आपके दुश्मन नहीं थे. आज भी हम दुश्मन नहीं हैं. हम आपके साथ थे. हमने पिछली बार आपके लिए प्रचार किया था.’ उद्धव ठाकरे ने कहा था कि पीएम मोदी ने ही शिवसेना के साथ संबंध तोड़ने का फैसला किया था. उद्धव ठाकरे के इस बयान से महाराष्ट्र की राजनीति गरमा गई थी, चर्चा शुरू हो गई थी कि उद्धव फिर से बीजेपी के साथ गठबंधन की तैयारी में तो नहीं है