हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का काफी महत्व है. इस दौरान पितरों की आत्मा की शांति के लिए निमित्त पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध किया जाता है. हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से शुरू होने वाला पितृ पक्ष 16 दिनों तक चलता है सर्वपितृ अमावस्या के दिन इसका समापन होता है. इन 16 दिनों में तिथि के अनुसार पितरों का श्राद्ध किया जाता है. वहीं जिन पितरों की तिथि याद ना हो या किसी अन्य कारणवश तिथि ना पता हो, तो ऐसे भूले भटके पितरों का श्राद्ध सर्व पितर अमावस्या के दिन किया जा सकता है. इस साल पितृ पक्ष की शुरुआत 29 सितंबर यानि आज से हो रही है. ऐसे में जानते हैं क्या है पितृ पक्ष का महत्व, तर्पण विधि और मंत्र.
पितृ पक्ष के पहले दिन कुशा घास की 16 जूड़ियां बांधे और हर रोज सूर्योदय से पहले एक जूड़ी लेकर दक्षिण की तरफ मुख कर उस जुड़ी को पीपल के पेड़ के नीचें रख दें. इसके बाद एक लोटे में पानी भरकर उसमें गंगाजल मिलाकर दूध, बूरा, काले तिल और जौं डालकर कुशा को पितर मानकर, उसपर 108 बार चढ़ाएं. 16 दिनों तक इसी तरह तर्पण करें और रोज गाय, कुत्ता और कौवे को भोजन कराएं.
पितरों के तर्पण के लिए मंत्र
- पितृभ्य:स्वधायिभ्य:स्वधा नम:। पितामहेभ्य:स्वधायिभ्य:स्वधा नम:। प्रपितामहेभ्य:स्वधायिभ्य:स्वधा नम:
- ॐ पितृ देवतायै नम:
- ओम आगच्छन्तु में पितर एवं ग्रहन्तु जलान्जलिम
पितरों की मुक्ति के लिए पितृ गायत्री पाठ भी किया जा सकता है.