नवरात्रि के चौथे दिन अष्टभुजा मां कुष्मांडा देवी की पूजा की जाती है. मान्यता है कि इस दिन जो भी भक्त मां कुष्मांडा की आराधना करता है उसका बुद्धि और विवेक बढ़ता है, साथ ही यह भी माना जाता है कि मां विभिन्न प्रकार के रोगों से भी मुक्ति दिलाती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि मां को प्रसन्न करने के लिए किसकी बली दी जाती है
मां कुष्मांडा सूर्य के समान तेज वाली हैं, माता के तेज से ही सभी दिशाओं में प्रकाश होता है. अन्य कोई भी देवी देवता इनके तेज और प्रभाव का सामना नही कर सकता. मा कुष्मांडा अष्टभुजा वाली देवी हैं, इनके सात हाथों में कमण्डलु,धनुष,बाण,कमलपुष्प,अमृतपूर्ण कलश ,चक्र तथा गदा हैं. आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जपमाला है एवं इनका वाहन सिंह है.
मां कुष्मांड़ा को वैसे तो लाल रंग के पुष्प और फल बहुत प्रिय है इसलिए भक्ति उनकी आराधना के समय भी यही चीजे चढ़ाते हैं. लेकिन इसके अलावा मान्यता है कि देवी को कुम्हड़े (कद्दू) की बलि प्रिय है. इस सब्जी को कुष्मांड भी कहते हैं. जिसके आधार पर देवी का नाम भी पड़ गया कुष्मांडा.