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मां दुर्गा को आठ वर्ष की आयु में हुआ पूर्व जन्म का आभास तब हुई मां महागौरी की उत्पत्ति

चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 9 अप्रैल 2024 से शुरू हुई. आज नवरात्रि का आठवां दिन है और इस दिन मां दुर्गा के महागौरी रूप की पूजा अर्चना की जाती है. वैसे तो लोग नवरात्रि के पूरे 9 दिन मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की आराधना करते हैं लेकिन आठवें दिन अधिकांश लोग मां दुर्गा की विधिवत पूजा अर्चना कर कन्याओं को भोजन भी करते है. आज दुर्गा अष्टमी के अवसर पर हम आपको बताने जा रहे हैं कि मां दुर्गा के महागौरी रूप की उत्पत्ति किस प्रकार हुई.

मां महागौरी का जन्म राजा हिमालय के घर हुआ था जिसकी वजह से उनका नाम पार्वती था, लेकिन जब मां पार्वती आठ वर्ष की हुई तब उन्हें अपने पूर्व जन्म की घटनाओं का स्पष्ट स्मरण होने लगा था. जिससे उसे यह पता चला कि वह पूर्व जन्म में भगवान शिव की पत्नी थीं. उसी समय से उन्होंने भगवान भोलेनाथ को अपने पति के रूप में मान लिया और शिवजी को अपने पति के रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या करनी भी आरंभ कर दी.

मां पार्वती ने भगवान शिव को अपने पति के रूप में पाने के लिए वर्षों तक घोर तपस्या की. वर्षों तक निराहार तथा निर्जला तपस्या करने के कारण उनका शरीर काला पड़ गया. इनकी तपस्या को देखकर भगवान शिव प्रसन्न हो गए व उन्होंने इन्हें गंगा जी के पवित्र जल से पवित्र किया जिसके पश्चात् माता महागौरी विद्युत के समान चमक तथा कांति से उज्जवल हो गई। इसके साथ ही वह महागौरी के नाम से विख्यात हुई.