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मोदी सरकार ने लोकसभा में पेश किया नया बिल... बदली गई IPC, पहचान छुपाकर संबंध बनाने पर सजा

नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को लोकसभा में ब्रिटिश कालीन भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की जगह लेने के लिए दो नये विधेयक पेश किये. उन्होंने भारतीय साक्ष्य अधिनियम में संशोधन के लिए एक विधेयक भी पेश किया. नए कानून में सबसे पहला चैप्टर महिलाओं और बच्चों के साथ होने वाले अपराध, दूसरा चैप्टर मानवीय अंगों के साथ होने वाले अपराध का है.

शाह ने सदन में भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 पेश करते हुए कहा कि देश में गुलामी की सभी निशानियों को समाप्त करने के मोदी सरकार के प्रयासों के तहत इन विधेयकों को लाया गया है, जो जनता के लिए न्याय प्रणाली को सुगम और सरल बनाएंगे.

किस कानून में होगी कितनी धाराएं?
गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में जानकारी दी कि कानून से जुड़ी सभी कानून यूनिवर्सिटी, हाइकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट, राज्य सरकारों और समितियों, सांसदो, विधायकों औत जनता की ओर से इन कानूनों के बनाने के सुझाव दिए गए थे. भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (2023) में अब 533 धाराएं होंगी, 160 धाराएं बदली गई है और 9 नई धाराएं जोड़ी गई है. भारतीय न्याय संहिता (2023) में 356 धारा होंगी, इनमें 175 धारा बदली हैं और 8 नई धारा जोड़ी गई हैं. भारतीय साक्ष्य अधिनियम एक्ट (2023) में 170 धाराएं होंगी, अब 23 धाराएं बदली हैं और 1 धारा जोड़ी गई है.

अमित शाह ने बताया कि भारत के कानून में कई ऐसे शब्दों का जिक्र था जिसमें ब्रिटिश शासन की झलक थी और जो आजादी से पहले की हैं, जिसे अब निरस्त कर दिया गया है, करीब 475 जगह इनका इस्तेमाल होता था जो अब नहीं होगा. अब सबूतों में डिजिटल रिकॉर्ड्स को कानूनी मान्यता दी गई है, ताकि अदालतों में कागजों का ढेर ना हो. एफआईआर से लेकर केस डायरी तक को अब डिजिटल किया जाएगा, किसी भी केस का पूरा ट्रायल अब वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से किया जा सकता है. किसी भी मामले की पूरी कार्यवाही डिजिटल तौर पर की जा सकती है.

जीरो एफआईआर को मिलेगी तवज्जो
अमित शाह ने कहा कि किसी भी सर्च में अब वीडियोग्राफी जरूरी होगी, इसके बिना कोई भी चार्जशीट वैध नहीं होगी. हम फॉरेन्सिक साइंस को मजबूत कर रहे हैं, जिस भी मामले में 7 या उससे अधिक साल की सजा का प्रावधान है उसमें फॉरेन्सिक रिपोर्ट आवश्यक होगी यानी यहां पर फॉरेन्सिक टीम का विजिट करना जरूरी होगा, हमने दिल्ली में सफल तरीके से लागू किया है. हमारा फोकस 2027 से पहले सभी कोर्ट को डिजिटल करने की कोशिश है. नए बिल के तहत जीरो एफआईआर को लागू करेंगे, इसके साथ ही ई-एफआईआर को जोड़ा जा रहा है. जीरो एफआईआर को 15 दिनों के भीतर संबंधित थाने में भेजना होगा, पुलिस अगर किसी भी व्यक्ति को हिरासत या गिरफ्तार करती है तो उसे लिखित में परिवार को सूचना देनी होगी.

यौन हिंसा पर पीड़िता का बयान जरूरी
अमित शाह ने बताया कि यौन हिंसा के मामले पीड़िता का बयान जरूरी है, पुलिस को 90 दिनों में किसी भी मामले की स्टेटस रिपोर्ट देनी होगी. अगर कोई 7 साल से अधिक का मामला है, तब पीड़ित का बयान लिए बिना वह मामला पुलिस वापस नहीं ले पाएगी. आरोप पत्र दायर करने के लिए जो अभी तक टालमटोल होती थी, ये अब नहीं होगा. पुलिस को अब 90 दिन में आरोप पत्र दाखिल करना होगा, अगर जरूरत होती है तो कोर्ट किसी मामले में 90 दिन अधिक भी दे सकती है यानी कुल 180 दिन के भीतर आरोप पत्र जरूरी होगा. किसी भी मामले बहस पूरी होने के बाद 30 दिन में फैसला देना ही होगा, फैसला आने के बाद 7 दिनों में इसे ऑनलाइन उपलब्ध कराना होगा.

पहचान छुपाकर संबंध बनाने पर...
लोकसभा में गृह मंत्री ने जानकारी दी कि घोषित अपराधी की संपत्ति की कुर्की की जाएगी, संगठित अपराध के लिए नया एक्ट जोड़ा जा रहा है. महिलाओं से जुड़े कानून में बदलाव किया गया है, अमित शाह ने बताया कि गलत पहचान बनाकर यौन संबंध बनाना अब अपराध होगा. गैंगरेप के मामले में 20 या उससे अधिक साल की सजा का प्रावधान है, 18 साल से कम उम्र की बच्चियों के मामले में मौत की सजा का प्रावधान किया गया है. नए कानून में मॉब लिंचिंग के मामले में 7 साल, उम्र कैद और मौत की सजा तक का प्रावधान है.