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रहस्यमयी है उत्तराखंड का खैट पर्वत

हमारा प्यार उत्तराखंड! उत्तराखंड यानि देव भूमि, कई प्रमुख धार्मिक स्थल यहां होने के कारण उत्तराखंड देवभूमि के नाम से भी जाना जाता है. उत्तराखंड धर्म, संस्कृति और शास्त्र से परिपूर्ण है, लेकिन इसके अलावा कई प्राचीन चीज़ों की वजह से भी ये मशहूर है. उत्तराखंड को देवी देवताओं का वास स्थल भी माना जाता है. इसीलिए यहां के लोग आज भी देवी देवताओं में काफ़ी विश्वास रखते हैं. उत्तराखंड में आज भी कई ऐसी जगहें है जो रहस्यों से भरी हुई हैं. इन्हीं में से एक जगह खैट पर्वत भी है. 

खैट पर्वत टिहरी गढ़वाल के एक छोटे से गांव मुसानकिरी के पास पड़ता है। इस खैट पर्वत को पारियों का देश भी कहा जाता है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस पर्वत में परियां रहती है, और इसका प्रूफ जीतू बगड़वाल की एक लोक गाथा से मिलता है। जीतू बगड़वाल की ये लोक गाथा उत्तराखंड की अनेकों प्रसिद्ध लोक गाथाओं में से एक है। 

मान्यता है कि एक बार जीतू अपनी ब्याही बहन को लेने रैनथल गांव जा रहा था, जहां उसकी प्रेमिका भी रहती थी, चलते चलते जब वो खैट पर्वत पर पहुंचा तो उसकी सुंदरता से काफी मोहित हो उठा, जिसके बाद उसने वहां बैठकर बांसुरी बजाना शुरू कर दिया, जीतू काफी सुंदर था और उसकी बांसुरी की धुन भी काफी मधुर थी, बांसुरी की धुन सुन खैट पर्वत की परियां उसे लेने के लिए आ जाती है, जीतू  उन पारियों से उसे छोड़ने की काफी मिन्नते करता है लेकिन परियां नहीं मानती और वो उसको अपने साथ ले जाने की ज़िद पर अड़ी रहती है। जीतू जान जाता है कि आछरियां उसके बिना नहीं लौटेंगी इसलिए अब वो निवेदन करना छोड़ उनसे मोहलत मांगता है और आछरियों से कहता है कि उसे 6 गति अषाढ के दिन ले जाएं, ताकि वह तब तक अपनी सारी ज़िम्मेदारियों को पूरा कर सके. आछरियां जैसे तेसे मान जाती हैं, रैनथल गांव जाकर जीतू अपनी प्रेमिका भरणा से आखिरी बार मिलता है और अपनी बहन को लेकर गांव वापस आ जता है। फिर आता है 6 गति अषाढ का दिन परियां उसे लेने उसके घर पहुंच जाती है और जीतू खड़े खड़े धरती में समा जाता है। 

इस घटना के बाद सभी को खैट पर्वत पर शांति से जाने के लिए बोला जाता है कि कहीं परियां उन पर भी मोहित होकर उनको भी अपने  लेकर न चली जाए।