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केरल 19 दिसंबर को श्रम सम्मेलन 2025 की करेगा मेजबानी

केरल के मंत्री वी. शिवनकुट्टी ने सोमवार को घोषणा की कि केंद्र सरकार द्वारा 29 कानूनों को चार नए श्रम कानूनों में समेकित करने के विरोध में केरल में सम्मेलन आयोजित किया जाएगा। मुख्यमंत्री पिनारयी विजयन 19 दिसंबर को राजधानी में आयोजित होने वाले 'श्रम सम्मेलन 2025' का उद्घाटन करेंगे। नए श्रम कानूनों को शिवनकुट्टी ने "श्रमिक विरोधी" और "संघीय सिद्धांतों का उल्लंघन" बताया और आरोप लगाया कि इनमें कई प्रावधान श्रमिकों के अधिकारों को कमजोर करते हैं और राज्यों की शक्तियों को घटाते हैं।

राज्य के श्रम मंत्री ने कहा, "इस सम्मेलन का उद्देश्य संघीय ढांचे के भीतर श्रमिकों और राज्यों के हितों की रक्षा के लिए वैकल्पिक नीतिगत दृष्टिकोण तैयार करना है।" शिवानकुट्टी ने आगे बताया कि केंद्र द्वारा लागू किए गए श्रम कानूनों के समन्वित विरोध के तहत पंजाब, तमिलनाडु, झारखंड और तेलंगाना सहित कई राज्यों के श्रम मंत्री इस सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। केरल के वित्त और कानून मंत्री के.एन. बालागोपाल और उद्योग मंत्री पी. राजीव के भी इसमें शामिल होने की उम्मीद है।

आगे जानकारी देते हुए शिवनकुट्टी ने बताया कि सम्मेलन के दौरान दो महत्वपूर्ण तकनीकी सत्र आयोजित किए जाएंगे, जिनमें सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश, एडवोकेट जनरल, ट्रेड यूनियन नेता, कानूनी विशेषज्ञ और शिक्षाविद भाग लेंगे। एडवोकेट जनरल के. गोपालकृष्ण कुरुप की अध्यक्षता में पहले सत्र में श्रम संहिताओं के प्रभाव पर चर्चा होगी, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति गोपाल गौड़ा मुख्य भाषण देंगे।

दूसरे सत्र में केरल की श्रम नीति के संदर्भ में श्रम संहिताओं का मुकाबला करने के लिए वैकल्पिक रणनीतियों का विश्लेषण किया जाएगा। मंत्री ने कहा कि सम्मेलन का समापन राज्य के हितों की रक्षा के उद्देश्य से एक नीति घोषणा के साथ होगा। श्रम संहिताओं का विरोध कर रहे विभिन्न केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के प्रतिनिधियों द्वारा बाद में केंद्रीय श्रम मंत्री मनसुख मांडविया से मुलाकात करने और नीति घोषणा में उल्लिखित मांगों के साथ ज्ञापन सौंपने की भी उम्मीद है।

केंद्र सरकार ने हाल ही में 2020 से लंबित सभी चार श्रम संहिताओं को अधिसूचित किया है, जिससे गिग वर्कर्स के लिए सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा कवरेज, सभी कर्मचारियों के लिए अनिवार्य नियुक्ति पत्र और सभी क्षेत्रों में समय पर भुगतान के साथ वैधानिक न्यूनतम मजदूरी जैसे प्रमुख सुधार लागू हुए हैं। शिवानकुट्टी ने दोहराया कि राज्य सरकार नई श्रम संहिताओं को लागू करते समय किसी भी कीमत पर श्रमिक विरोधी रुख नहीं अपनाएगी।