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 हिंदू धर्म में चित्रगुप्त पूजा का खास महत्व है. यह हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर मनाई जाती है. इस दिन भगवान चित्रगुप्त की पूजा करने का विधान है. भगवान चित्रगुप्त को यमराज का सहायक माना जाता है. क्योंकि मृत्यु के बाद मनुष्यों के अच्छे-बुरे कर्मों का हिसाब-किताब भगवान चित्रगुप्त ही यमराज को बताते हैं. किसे स्वर्ग जाना है और किसे नर्क इसका निर्णय चित्रगुप्त भगवान ही लेते हैं. चित्रगुप्त पूजा खास कर कायस्थ परिवार द्वारा किया जाता है. इस दिन बही-खातों और कलम की पूजा करने का विधान है. कहते हैं, इस दिन भगवान चित्रगुप्त की विधि अनुसार पूजा और उनका स्मरण करने से कार्य में उन्नति होती है और बुद्धि में वृद्धि का वरदान मिलता होता है. चित्रगुप्त भगवान की पूजा में लेखनी और दवात की पूजा का भी बहुत महत्व है। 

 चित्रगुप्त पूजा वाले दिन सुबह जल्दि उठकर स्नान करने के बाद भगवान चित्रगुप्त और यमराज की तस्वीर एक चौंकी पर रखकर विधि अनुसार फूल, अक्षत, कुमकुम और नैवेद्य से भगवान की पूजा करें. फिर, एक सादे कागज पर रोली घी से स्वास्तिक का चिन्ह बनायें. उसके बाद अपना नाम, पता, तारीख और साल भर के खर्च का लेखा-जोखा लिखकर कागज को मोड़कर भगवान के चरणों में अर्पित कर दें. साथ ही, भगवान से धन और वंश में वृद्धि करने का आशीर्वाद मांगें और अंत में भगवान चित्रगुप्त की आरती करें.