Maharashtra: बॉम्बे हाई कोर्ट ने एनकाउंटर स्पेशलिस्ट के तौर पर फेमस महाराष्ट्र के पूर्व पुलिस अधिकारी प्रदीप शर्मा और 13 दोषियों को 2006 के एक फर्जी एनकाउंटर मामले में मंगलवार को उम्र कैद सुनाई है। 13 दूसरे दोषियों में से 12 पुलिसकर्मी हैं।
2006 में प्रदीप शर्मा और उनकी टीम ने मुंबई में गैंगस्टर छोटा राजन के कथित करीबी रामनारायण गुप्ता का फेक एनकाउंटर किया था।
जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और जस्टिस गौरी गोडसे की बेंच ने प्रदीप शर्मा को बरी करने के सत्र न्यायालय के 2013 के फैसले को गलत करार दिया है।
हाई कोर्ट ने कहा, "निचली अदालत ने शर्मा के खिलाफ मौजूद पर्याप्त सबूतों को नजरअंदाज कर दिया, जो मामले में उनके शामिल होने को साफ तौर पर साबित करते हैं।"
बेंच ने शर्मा को तीन हफ्ते में संबंधित सेशन कोर्ट के सामने आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया है। हाई कोर्ट ने 12 और पुलिसकर्मियों सहित 13 लोगों को निचली अदालत से दोषी ठहराने और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाने को बरकरार रखा है।
इनके अलावा छह और आरोपितों की आजीवन कारावास की सजा रद्द करते हुए हाई कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया।
फेक एनकाउंटर मामले में 13 पुलिसकर्मियों सहित 22 लोगों पर हत्या का आरोप लगाया गया था। साल 2013 में सेशल कोर्ट ने सबूतों के अभाव में प्रदीप शर्मा को बरी कर दिया था और 21 आरोपितों को दोषी ठहराते हुए, उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनायी थी।
इन 21 आरोपितों में से दो की हिरासत में मौत हो चुकी है। आरोपितों ने सेशल कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील दायर की थी।
वहीं अभियोजन पक्ष और मृतक के भाई रामप्रसाद गुप्ता ने प्रदीप शर्मा को बरी करने के फैसले के खिलाफ अपील की थी।
11 नवंबर 2006 को एक पुलिस टीम ने गुप्ता उर्फ लखन भैया को इस शक पर पकड़ा था कि वो छोटा राजन की गैंग का सदस्य है। उसके साथ उसके दोस्त अनिल भेड़ा को भी पकड़ा गया था। गुप्ता को उसी शाम वर्सोवा में नाना-नानी पार्क के पास "फर्जी" मुठभेड़ में मार डाला गया था।