दिल्ली में आज ‘एक देश, एक चुनाव’ को लेकर गठित संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की जा रही है। इस बैठक में देशभर में एक साथ लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनाव कराने के प्रस्ताव पर विस्तृत चर्चा की जाएगी। माना जा रहा है कि यह बैठक इस बहुप्रतीक्षित और चर्चित प्रस्ताव को अंतिम रूप देने की दिशा में एक निर्णायक कदम हो सकती है।
जेपीसी की इस बैठक में समिति के अध्यक्ष और सदस्यगण विभिन्न राजनीतिक दलों, विशेषज्ञों और चुनाव आयोग से मिली रिपोर्ट्स और सुझावों का मूल्यांकन करेंगे। केंद्र सरकार पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि वह 'एक देश, एक चुनाव' की अवधारणा को लेकर गंभीर है और इस पर आम सहमति बनाने की दिशा में काम कर रही है।
यह विचार लंबे समय से चर्चा में है, जिसका उद्देश्य बार-बार होने वाले चुनावों से बचते हुए सरकारी संसाधनों, समय और खर्च की बचत करना है। इसके पक्ष में तर्क दिया जाता है कि इससे न केवल प्रशासनिक कार्यकुशलता बढ़ेगी, बल्कि नीति निर्माण और विकास कार्यों में रुकावट भी कम आएगी। हालांकि, कई विपक्षी दल इस विचार पर सवाल भी उठा चुके हैं, उनका मानना है कि यह संघीय ढांचे और लोकतांत्रिक विविधता के लिए चुनौती हो सकता है।
बैठक के दौरान कानूनी, तकनीकी और व्यावहारिक पहलुओं पर भी चर्चा की जाएगी, जैसे कि संविधान में संभावित संशोधन, राज्यों की सहमति, और मौजूदा विधानसभा व लोकसभा के कार्यकाल का समन्वय। आज की बैठक के बाद यह तय हो सकता है कि इस विषय पर अंतिम रिपोर्ट कब तक संसद को सौंपी जाएगी और क्या इसे आगामी सत्र में विधायी रूप देने की दिशा में कोई ठोस कदम उठाया जाएगा। 'एक देश, एक चुनाव' का मुद्दा देश की राजनीति को एक नई दिशा दे सकता है, इसलिए इस बैठक पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं।