चालू वित्त वर्ष में राज्यों में कर्ज में बढ़ोतरी देखने को मिली है। एक रिपोर्ट के अनुसार उच्च पूंजी परिव्यय और मध्यम राजस्व वृद्धि के बीच राज्यों का डेट कल घरेलू उत्पाद के 31-32 प्रतिशत पर बना रहेगा। कुल राज्यों के कर्ज में 9 प्रतिशत बढ़कर 87 लाख करोड़ रुपये से अधिक होने की संभावना है।
किसी राज्य के द्वारा लिया गया लोन राज्य के सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के अनुपात के रूप में मापा जाता है। कोविड से पहले,डेट-जीएसडीपी अनुपात 28-29 पर था। लेकिन क्रिसिल रेटिंग्स की रिपोर्ट के अनुसार, जीएसडीपी के अनुपात के रूप में कुल सकल राजकोषीय घाटा (जीएफडी) 2.5 पर रहने की उम्मीद है।
एक रिपोर्ट के अनुसार देश में 18 राज्यों (महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, राजस्थान, बंगाल, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, केरल, ओडिशा, पंजाब, बिहार, छत्तीसगढ़, हरियाणा, झारखंड और गोवा) में सबसे ज्यादा डेट है। यह उपलब्ध आंकड़ों पर आधारित है। इनका कुल जीएसडीपी का 90 प्रतिशत हिस्सा हैं।
वित्तीय वर्ष 2022 में मामूली राजस्व अधिशेष के बाद राज्य वित्तीय वर्ष 2023 में घाटे में चले गए हैं। इनका कुल राजस्व मामूली 8 फीसदी की दर से बढ़ा। वहीं, राजस्व व्यय साल-दर-साल 11 प्रतिशत की तेजी से बढ़ा।