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रेस्क्यू ऑपरेशन में अमेरिकी ऑगर मशीन ने तोड़ दम, अब वर्टिकल ड्रिलिंग बचा पाएगी 41 जान

उत्तराकाशी की सिलक्यारा में  फंसी 41 जिंदगियो बचाने के ये दिन काफी अहम चल रहे। उगते सूरज के साथ लोगों  की उम्मीदें भी बढ़ती जा रही है कि कब वो दिन  होगा जब 13 दिन से फंसे हुए लोग बाहर आ सकेंगे।  हर एक दिन आस और उम्मीद से भरा हुआ जिसे हम सवेदनशील भी कह सकते हैं। बचाव कार्य तो इन दिनों युद्ध स्तर पर जारी है। बचाव दल पूरी जी जानसे लगे हुए हैं। हर कोई हर संभव प्रयास में लगा हुआ. लेकिन आपरेश बेहद ही कठिन होता जा रहा है। लोग भरसक कोशिश करने में लगें हुए हुए हैं। इस रेस्क्यू ऑपरेशन के तहत ड्रिलींग मशीन भी मंगाई गई। टनल में ड्रिलिंग भी हुई। लेकिन रास्ता साफ न हो सका।   लेकिन इसके बाद आपरेशन को जारी रखने के लिए  अमेरिका की  बेहद ही शक्तिशाली  मशीन मंगाई गई,   अमेरिकीय मशीन  जिसे ऑगर मशीन कहते हैं। 

बता दें कि ऑगर मशीन के आगे बार बार किसी धातू  की ठोस वस्तु सामने आ जाने से रेस्क्यू अभियान में समस्या पैदा हो रही है। ये आपरेशन इतना जटिल है कि अमेरिकी मशीन ने   भी इसके आगे दम तोड़ दिया है। बता दें की तमाम प्रयास करने के बाज इस  मशीन को मंगाया गया था। जिससे लोगों के एक बड़ी उम्मीद कि  मिशन सफल होगा और इससे फंसे हुए मजदूर बाहर आ आ सकेंग। ऑगर मशीन ने भी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है तो वहीं इसके बाद अब टनल में फंसे मजदूरो को बाहर निकालने के लिए रेस्कयू अभियान में जुटे कर्मियों ने दूसरे प्लान बनाया है। इस प्लान के तहत फंसे हुए लोगों के निकालने के लिए वर्टिकल ड्रिलिंग करने की युक्ति बनाई है। जिसे बाद कहीं न कहीं उम्मीद जताई जा  रही है कि शायद ये प्लान सफल हो सके।

लेकिन मिशन इतना जटिल है कि इसके आगे अमेरिकी मशीन ने भी हाथ खड़े कर दिए है। इसेक सामने एक अड़चन  पैदा हो गई है। बताया जा कहा है कि सिसक्यारा सुरंग में ऑगर मशीन  के 2.2 मीटर चलने के बाद आगे का काम नहीं कर सकी  ऐसे में लोगों को इस मशीन से आज निराश ही हाथ लगी हुई है। ऐसे आज का 13वां दिन भी ऐसे ही  जाने वाला है जब  फंसे हुए मजदूरों  को वहीं सुरंग में ही रहना होगा। 13वें दिन उन मजूदूरों को उम्मीद के सहारे ही रहना पडेगा। टनल में फंसे हुए  मजदूरों के लिए हर दिन हर पल भारी हो रहा है। न  जहां जल है न जीवन न सूर्य किरणें न चांद की चांदनी है बस एक उम्मीद जो कि कब उन्हें बाहर निकाला जाएगा।