कैलाश मानसरोवर को भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है। कहते हैं भगवान शिव और उनका पूरा परिवार कैलाश पर्वत पर ही रहता है। हर साल भक्त कैलाश मानसरोवर की यात्रा करते हैं। यहां आकर उन्हें दिव्य अनुभूति होती है। हालांकि पांच साल से इस यात्रा पर रोक लगी थी। इसके पीछे कोई एक नहीं बल्कि दो कारण थे।
पहला तो Covid-19 के कारण इस यात्रा पर रोक लगा दी गई थी। वहीं दूसरा कारण डोकलाम विवाद माना जा रहा था। हालांकि अब ये यात्रा दोबारा से शुरू होने जा रही है। बताया जा रहा है कि 30 जून से यात्रा की शुरुआत हाेगी। सिक्किम में इंडो-चीन बॉर्डर पर बने कैलाश मानसरोवर मार्ग पर तैयारियां चल रही हैं। आपको बता दें कि कैलाश मानसरोवर चीन के कब्जे वाले तिब्बत में स्थित है। विदेश मंत्रालय ही हर साल इस यात्रा का आयोजन करता है। फिल्हाल आवेदन बंद हो चुके हैं लेकिन जाने से पहले कुछ जरूरी बातें आपको जान लेनी चाहिए।
बताया जा रहा है कि सिक्किम के नाथुला दर्रा के रास्ते से कैलाश मानसरोवर की यात्रा कराई जाएगी। इस बार उत्तराखंड और सिक्किम के रास्ते यात्रियों को रवाना किया जाएगा। यात्रियों का 15 जत्था रवाना होगा। हर जत्थे में 50-50 यात्री शामिल होंगे। पांच बैच उत्तराखंड से लिपुलेख दर्रे को पार कर कैलाश मानसरोवर पहुंचेंगे। तो वहीं यात्रियों का 10 जत्था सिक्किम से नाथुला दर्रे को पार करते हुए यात्रा करेगा।
कैलाश मानसरोवर मार्ग पर यात्रियों के लिए रेस्ट रूम भी बनाए जा रहे हैं। जो यात्री सिक्किम से मानसरोवर की यात्रा करेंगे, उन्हें दो जगर पर रेस्ट रूम मिलेगा। पहला 16th Mile (10,000 फीट) पर होगा जबकि दूसरा कुपूप रोड पर हांगू झील के पास (14,000 फीट) पर होगा। यहां आपको हर केंद्र पर दो भवन में पांच-पांच बेड और दो-दो बेड की सुविधा मिलेगी। यहां पर यात्रियों की हर जरूरी सुविधाओं का ध्यान रखा जाएगा।
आपको बता दें कि कैलाश मानसरोवर की यात्रा करने के लिए सिक्किम वाला रास्ता सबसे बेहतर माना जाता है। यहां आपको रास्ते में जगह-जगह पर टॉयलेट मिल जाएंगे जिससे यात्रियों को कोई भी दिक्कत नहीं होगी। कैलाश मानसरोवर यात्रा साल 2020 से संचालित नहीं हो पाई थी। अब जब यूे यात्रा पांच साल बाद दोबारा शुरू हो रही है तो यात्रियों में खुशी की लहर है।