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पीएम सूर्यघर योजना के तहत 4,900 मेगावाट क्षमता जुड़ी, लक्ष्य का केवल 13 प्रतिशत

देश में पीएम सूर्य घर योजना के तहत छतों पर 4.9 गीगावाट (4,900 मेगावाट) क्षमता की सौर इकाइयां स्थापित की गई हैं और इस वर्ष योजना के तहत जुलाई तक 57.9 लाख से अधिक आवेदन जमा किए गए हैं। हालांकि, इंस्टिट्यूट फॉर एनर्जी इकॉनमिक्स एंड फाइनेंशियल एनालिसिस (आईईईएफए) और जेएमके रिसर्च एंड एनालिटिक्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि मार्च, 2024 और जुलाई, 2025 के बीच आवेदनों में लगभग चार गुना वृद्धि के बावजूद, एक करोड़ सौर प्रणाली लगाने के लक्ष्य का केवल 13.1 प्रतिशत ही पूरा हो पाया है। इसके अलावा, जुलाई, 2025 तक आवंटित 65,700 करोड़ रुपये (7.5 अरब डॉलर) की सब्सिडी का केवल 14.1 प्रतिशत ही जारी किया गया है।

इस संदर्भ में, वित्त वर्ष 2026-27 के 30 गीगावाट क्षमता के लक्ष्य को प्राप्त करना एक बड़ी चुनौती के रूप में देखा जा रहा है। पीएम सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना (पीएमएसजीवाई) के अंतर्गत, गुजरात 1,491 मेगावाट की सर्वाधिक स्थापित आवासीय ‘रूफटॉप’ सौर क्षमता के साथ सभी राज्यों में अगुवा है। इसके बाद महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, केरल और राजस्थान का स्थान है। इन राज्यों की कुल स्थापित क्षमता (4,946 मेगावाट) में हिस्सेदारी जुलाई, 2025 तक लगभग 77.2 प्रतिशत रही। जेएमके रिसर्च की संस्थापक और रिपोर्ट तैयार करने वालों में शामिल ज्योति गुलिया ने कहा, ‘‘पीएमएसजीवाई के तहत आवासीय ‘रूफटॉप’ (छतों पर लगने वाली सौर प्रणाली) सौर ऊर्जा की स्वीकार्यता में तेजी लाने के लिए नीतिगत ढांचे का लगातार विस्तार किया गया है।

2024 से, इसने तीन लाख से ज्यादा लोगों को प्रशिक्षित करने और विक्रेताओं, वितरण कंपनियों और वित्तपोषकों को कौशल विकास में मदद करने के लिए एक राष्ट्रव्यापी क्षमता निर्माण कार्यक्रम शुरू किया है।’’ जेएमके रिसर्च के वरिष्ठ सलाहकार और इस रिपोर्ट के सह-लेखक प्रभाकर शर्मा ने कहा, ‘‘हालांकि,उपभोक्ता जागरूकता और वित्त तक पहुंच में कमी रूफटॉप सौर ऊर्जा को अपनाने में महत्वपूर्ण बाधाएं बनी हुई हैं। शुरू में अधिक लागत और खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में रखरखाव की समस्याएं भी हैं।’’

रिपोर्ट के अनुसार, पैनल, इन्वर्टर जैसी छतों पर लगने वाली सौर प्रणाली के कलपुर्जों के लिए आपूर्ति श्रृंखलाओं में कमी भी कार्यान्वयन में देरी का कारण बनती हैं। आईईईएफए के निदेशक (दक्षिण एशिया) और रिपोर्ट तैयार करने में शामिल विभूति गर्ग ने कहा, ‘‘राज्य स्तर पर स्पष्ट, समयबद्ध रूफटॉप सौर क्षमता लक्ष्य निर्धारित करना एक बेहतर दृष्टिकोण बनाने और प्रभावी नीति कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है।’’

पीएमएसजीवाई के तहत एक शिकायत निवारण प्रणाली स्थापित की गई है, लेकिन इसका प्रभाव सीमित है। जेएमके रिसर्च के शोध सहयोगी और इस रिपोर्ट के सह-लेखक अमन गुप्ता ने कहा, ‘‘पीएमएसजीवाई को जिला-स्तर पर समस्याओं के समाधान के लिए व्यवस्था करनी चाहिए ताकि सब्सिडी वितरण में देरी, गलत आंकड़ें शामिल करने या पोर्टल की खराबी को वितरण कंपनियों या पोर्टल स्तर से आगे बढ़ाया जा सके।’’

आवेदनों को वास्तविक स्थापनाओं में बदलने की गति बढ़ाने के लिए, राज्य और जिला-स्तरीय सुविधा प्रकोष्ठ को परिवारों को आवेदन दाखिल करने और सब्सिडी का दावा करने में मार्गदर्शन करना चाहिए। संभावित उपभोक्ताओं को शिक्षित करने के लिए विपणन अभियान और उपभोक्ता संपर्क पहल शुरू की जा सकती हैं। पीएमएसजीवाई की दीर्घकालिक सफलता न केवल सब्सिडी के प्रावधान पर निर्भर करती है, बल्कि सुव्यवस्थित डिजिटल प्रक्रियाओं, मानकीकृत उत्पाद समाधान और उपभोक्ता-केंद्रित सहायता प्रणालियों को संस्थागत बनाने की इसकी क्षमता पर भी निर्भर है।