उत्तराखंड समान नागरिक संहिता यानि यूसीसी को लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है, यानि अब उत्तराखंड में विवाह, तलाक, विरासत और गोद लेने जैसे सभी कानून राज्य के नागरिकों पर एक समान लागू होंगे। हालांकि यूसीसी के तहत अनुसूचित जनजातियों और कुछ संरक्षित समुदायों के लिए विशेष छूट का भी प्रावधान किया गया है। यूसीसी के तहत विवाह, लिव-इन रिलेशनशिप का रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी होगा। साथ ही उत्तराधिकार कानूनों में भी कई अहम बदलाव किए गए हैं।
लिव इन रिलेशनशिप का एक महीने के अंदर रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा नहीं तो तीन महीने तक की जेल और 10 हजार रुपये तक का जुर्माना लग सकता है। वहीं लिव इन रिलेशनशिप में पैदा हुए बच्चों का सात दिनों के अंदर रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी होगा। यूसीसी बहुविवाह पर भी पूरी तरह रोक लगाता है। सरलता से रजिस्ट्रेशन कराने के लिए सरकार ने डिजिटल पोर्टल की भी शुरुआत की है।
यूसीसी लागू होने के बाद मिली जुली प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। यूसीसी के समर्थकों का मानना है कि ये सभी के लिए समान अधिकार सुनिश्चित करेगा, जबकि आलोचकों का मानना है कि ये अलग अलग धर्मों के अपने अपने कायदे कानूनों और प्राइवेसी में दखल देगा, जिसकी वजह से इसे कानूनी तौर पर विरोध का सामना भी करना पड़ सकता है।
उत्तराखंड में लागू हुए यूसीसी का मसौदा रिटायर्ड जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय समिति ने दो फरवरी 2024 को राज्य सरकार को सौंपा था। 28 फरवरी को राज्यपाल से मंजूरी मिलने के बाद विधेयक को मार्च 2024 में राष्ट्रपति की भी मंजूरी मिल गई।