नई दिल्ली: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को 71वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में फिल्म निर्माताओं की तारीफ की और कहा कि सिनेमा केवल महज एक उद्योग नहीं है, बल्कि समाज और राष्ट्र को जागृत करने का एक जरिया भी है। राष्ट्रपति ने कहा कि सिनेमा नागरिकों को अधिक संवेदनशील बनाने में भूमिका निभाता है।
मुर्मू ने कहा, "इस बात पर ज़ोर देना कम ही होगा कि सिनेमा केवल एक उद्योग नहीं है; ये समाज और राष्ट्र को जागृत करने और नागरिकों को अधिक संवेदनशील बनाने का सशक्त माध्यम भी है। किसी फिल्म के लिए लोकप्रियता अच्छी बात हो सकती है, लेकिन जनहित, खासकर युवा पीढ़ी के हित की सेवा करना उससे भी बड़ा गुण है।"
उन्होंने कहा कि भारतीय सिनेमा कई अलग-अलग भाषाओं, बोलियों, क्षेत्रों और स्थानीय परिवेशों में आगे बढ़ रहा है। राष्ट्रपति ने आगे कहा कि महिलाओं पर केंद्रित अच्छा सिनेमा भी बन रहा है और उसे मान्यता मिल रही है।
मुर्मू ने कहा, "...ये बहुत अच्छा सामाजिक संदेश है। आज पुरस्कृत फिल्मों में माताओं द्वारा बच्चों के नैतिक निर्माण पर आधारित फिल्में, सामाजिक वर्जनाओं का सामना करने के लिए एकजुट होने वाली साहसी महिलाओं की कहानियां, पारिवारिक और सामाजिक संरचनाओं की जटिलताओं से निपटने और पितृसत्ता के लक्षणों के खिलाफ आवाज उठाने वाली फिल्में शामिल हैं।" उन्होंने प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त करने वाली महिला फिल्म निर्माताओं की कम संख्या पर भी टिप्पणी की।
राष्ट्रपति ने कहा, "जिस प्रकार शैक्षणिक संस्थानों के पुरस्कार समारोहों में विजेता बेटियों की अधिक संख्या एक विकसित भारत की छवि को दर्शाती है, उसी प्रकार फिल्म पुरस्कारों में भी यही प्रयास किया जाना चाहिए। मेरा मानना है कि यदि समान अवसर दिए जाएँ तो महिलाएं असाधारण प्रदर्शन करने में सक्षम हैं।"
राष्ट्रपति ने आगे कहा, "कला और सिनेमा जैसे क्षेत्रों में भी महिलाओं की जन्मजात प्रतिभा के अनेक उदाहरण हैं। सिनेमा से जुड़ी ऐसी उत्कृष्ट महिला प्रतिभाएँ उचित सम्मान की हकदार हैं। जूरी के केंद्रीय और क्षेत्रीय पैनल में भी महिलाओं का पर्याप्त प्रतिनिधित्व होना चाहिए।"
अपने भाषण में मुर्मू ने राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार विजेताओं और इस वर्ष दादा साहब फाल्के पुरस्कार विजेता मलयालम सुपरस्टार मोहनलाल को भी बधाई दी। उन्होंने मोहनलाल की "संपूर्ण अभिनेता" बताया।
राष्ट्रपति ने कहा, "उन्होंने (मोहनलाल ने) कोमल से कोमल और कठोर से कठोर भावनाओं को सहजता से प्रस्तुत किया है... मुझे ये जानकर सुखद आश्चर्य हुआ कि उन्होंने महाभारत के कर्ण पर आधारित एक लंबे संस्कृत नाटक में कर्ण की भूमिका निभाई है। एक तरफ 'वानप्रस्थम' जैसी गंभीर फिल्म है और दूसरी तरफ इतनी सारी लोकप्रिय फिल्में हैं। मुझे बताया गया है कि मोहनलाल जी को पुरस्कार मिलने की खबर सुनकर लोग खुशी से झूम उठे। ये इस बात का प्रमाण है कि उन्होंने अनगिनत दर्शकों के दिलों में अपनी जगह बनाई है।"
राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें सभागार में "पूरे देश की झलक" दिखाई दे रही थी, जो अलग-अलग श्रेणियों और भाषाओं के विजेताओं से भरा हुआ है।