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मेरठ में धर्मेंद्र का अनोखा फैन, 48 साल की लगन से लिखी धर्मेंद्र की 304 फिल्मों की किताब

Meerut News: फ़िल्मों के सुनहरे दौर का एक सच्चा दीवाना आज भी अपने पसंदीदा सितारे को सलाम कर रहा है। मेरठ के 65 वर्षीय शफीक मालिक पिछले 48 सालों से एक अनोखे मिशन में जुटे हैं , उन्होंने अपने चहेते अभिनेता धर्मेंद्र की हर फ़िल्म का बारीक से बारीक विवरण हाथ से लिखकर एक किताब में संजोया है। आज उनकी यह मेहनत एक 304 पन्नों की अनोखी किताब के रूप में तैयार है। हर पन्ने पर धर्मेंद्र की एक फ़िल्म की पूरी कहानी, कलाकारों की जानकारी, संवाद, गीत, और उस दौर की झलक दर्ज है।

नेटवर्क 10 न्यूज़ से बात करते हुए शफीक बताते हैं “मैंने धर्मेंद्र साहब की 304 फिल्मों की पूरी डिटेल इसमें लिखी है। छोटी से बड़ी सब जानकारी मौजूद है। अब मेरा सपना है कि मैं खुद धर्मेंद्र साहब से मिलकर यह किताब उनके हाथों में दूं।”

आपको बता दें इस किताब की हर लाइन शफीक ने अपने हाथों से लिखी है — कंप्यूटर या मोबाइल की कोई मदद नहीं ली। पुरानी पत्रिकाओं, पोस्टरों और सिनेमाघरों से मिली जानकारियों को उन्होंने दशकों तक सहेजकर रखा और धीरे-धीरे इस अद्भुत संग्रह को पूरा किया।

जिसके बाद शफीक बताते हैं कि इस किताब में 1960 से लेकर 2023 तक धर्मेंद्र की सभी 304 फिल्मों का ज़िक्र है। हर फ़िल्म में उन्होंने यह तक लिखा है कि — कहानी का पहला शॉट क्या था, धर्मेंद्र का किरदार क्या था, कौन-से कपड़े पहने थे, कौन-सी कार चलाई, कार का नंबर क्या था, किस हाथ में तमंचा लिया, कितनी गोलियां चलाईं, कितनी बार डांस किया, कितनी बार हीरोइन का हाथ पकड़ा या किस किया — सब कुछ विस्तार से लिखा है।

फिर वो कहते हैं — “मैं धर्मेंद्र जी का फैन हूं। मैंने उनके लिए एक गाना भी लिखा है ‘ना मैं आमिर खान हूं, ना मैं सलमान खान हूं,छोटा सा धर्मेंद्र का फैन हूं।’” वही शफीक बताते हैं कि उनके चार बेटे और एक बेटी हैं, लेकिन किसी को उनके इस शौक से कोई लेना-देना नहीं है।

उन्होंने बताया कि “मेरा अपने काम से मतलब है। मैं पहले दर्जी का काम करता था। मेरी ख्वाहिश थी कि मैं धर्मेंद्र साहब को अपने हाथों से सिला सूट पहनाऊं, लेकिन अब आंखें कमजोर हो गई हैं, सिलाई छोड़ दी। फिर मैंने ठेला चलाना शुरू किया। मंडी में सब मेरी इज़्ज़त करते थे।” “मैं पिछले 48 साल से उनके लिए दुआ करता हूं। जब भी नमाज़ पढ़ता हूं, उनके लिए दुआ करता हूं — अल्लाह उन्हें सेहत दे, बीमारी दूर करे। कई बार उनके नाम पर रोज़ा भी रखता हूं।”

शफीक बताते हैं कि वे अब धर्मेंद्र साहब से मिलने की तैयारी कर रहे हैं। “2 तारीख को मैं मुंबई जाऊंगा। मुझे पता है धर्मेंद्र साहब की तबीयत ठीक नहीं रहती, इसलिए मेरा जाना ज़रूरी है। यह किताब मैं उन्हें तोहफ़े में देना चाहता हूं। पहले एक बार मुलाकात हो चुकी है — अस्पताल से लौटे थे, अनुमति नहीं थी, लेकिन फिर भी मिल लिया था। इस बार अकेला ही जाऊंगा।”

शफीक मालिक मेरठ के इस्लामाबाद इलाके के रहने वाले हैं और फिलहाल कांच का पुल, फतुल्लाह रोड पर रहते हैं।