Delhi: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और तीनों सेनाओं के प्रमुखों समेत शीर्ष रक्षा अधिकारियों के साथ बैठक की अध्यक्षता की। इस बैठक में प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान भी शामिल हुए। ये बैठक पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत की तरफ से उठाए जाने वाले कदमों पर विचार किए जाने के बीच हुई। पहलगाम हमले में कम से कम 26 नागरिक मारे गए थे, जिनमें से ज्यादातर पर्यटक थे।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस हमले में शामिल आतंकियों और उनके आकाओं को सख्त संदेश देते हुए कड़ी सजा देने की बात कही थी। प्रधानमंत्री ने गत बृहस्पतिवार को बिहार में एक जनसभा में कहा कि भारत पहलगाम हमले में शामिल एक-एक आतंकवादी और उनके आकाओं की पहचान करेगा, उनका पता लगाएगा और उन्हें सजा देगा।
उन्होंने कहा, ‘‘हम धरती के अंतिम छोर तक उनका (पहलगाम के हमलावरों का) पीछा करेंगे। आतंकवाद कभी भारत का मनोबल नहीं तोड़ पाएगा।’’ आतंकवादियों ने ठीक एक हफ्ते पहले 22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम के लोकप्रिय स्थल में देश के अलग-अलग हिस्सों से आए पर्यटकों की गोली मारकर हत्या कर दी थी।
इस क्षेत्र में लंबे समय में नागरिकों पर हुए इस सबसे क्रूर हमले ने पूरे देश में आक्रोश की लहर पैदा कर दी है और आतंकवादियों और उनके आकाओं के खिलाफ जवाबी कार्रवाई की मांग की है। प्रधानमंत्री के सख्त बयानों और राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर उनकी सरकार के घोषित सख्त रुख ने भारत से सख्त जवाबी कार्रवाई की उम्मीदें बढ़ा दी हैं।
इससे पहले मोदी सरकार ने 2016 में उरी में सेना के जवानों पर आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक की थी और पुलवामा में सीआरपीएफ जवानों की हत्या के बाद बालाकोट एयर स्ट्राइक की थी। पहलगाम में आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को निशाना बनाते हुए कई कदम उठाए हैं, जिसमें पड़ोसी देश के साथ सिंधु जल संधि को स्थगित करना भी शामिल है।
सूत्रों ने बताया कि इससे पहले दिन में केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन ने एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की थी, जिसमें तीन अर्धसैनिक बलों के प्रमुख और दो अन्य सुरक्षा संगठनों के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए थे। बैठक के एजेंडे पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया।