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जनता को धोखा देने की इजाजत नहीं दी जा सकती, भ्रामक विज्ञापनों पर सुप्रीम कोर्ट

New Delhi: सुप्रीम कोर्ट ने भ्रामक विज्ञापनों के संबंध में मंगलवार को कहा कि ‘‘ हम जनता को धोखा देने की अनुमति नहीं दे सकते।" इसके साथ ही न्यायालय ने केंद्र और राज्य के लाइसेंस अधिकारियों को भ्रामक विज्ञापनों से निपटने के लिए खुद को ‘तैयार’ होने के लिए कहा। 

सुप्रीम कोर्ट ने आयुष मंत्रालय के अगस्त 2023 के पत्र को लेकर केंद्र से भी सवाल किया, जिसमें लाइसेंस अधिकारियों को औषधि और प्रसाधन सामग्री नियमावली, 1945 के नियम 170 के तहत कोई कार्रवाई शुरू नहीं करने को कहा गया था। सुप्रीम कोर्ट ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के सदस्यों के अत्यधिक महंगी दवाइयां लिखने के लिए उसकी भी खिंचाई की। 

जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के भ्रामक विज्ञापनों से संबंधित मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि कई अन्य कंपनियां (एफएमसीजी) भी इस रास्ते पर जा रही हैं और केंद्र को इस बारे में जवाब देना होगा कि उसने क्या किया है।