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दिल्ली हाई कोर्ट ने चिराग पासवान के लोकसभा सदस्य के रूप में निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका की खारिज

दिल्ली उच्च न्यायालय ने बिहार की हाजीपुर लोकसभा सीट से लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान के निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी। न्यायमूर्ति अमित बंसल ने कहा कि यह चुनाव बिहार में हुआ था, इसलिए उच्च न्यायालय को निर्वाचन संबंधी याचिका पर निर्णय करने का अधिकार नहीं है। अदालत ने कहा, ‘‘इसलिए, इस याचिका को प्रादेशिक क्षेत्राधिकार नहीं होने के आधार पर खारिज किया जाता है।’’

अदालत ने हालांकि याचिकाकर्ता को अन्य कानूनी उपाय अपनाने की अनुमति दे दी। अपनी याचिका में याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि वह प्रिंस राज और उनके सहयोगियों के ‘‘कहने” पर कथित यौन उत्पीड़न की शिकार हुईं, जिनमें उनके चचेरे भाई (चिराग) पासवान भी शामिल थे और उन्होंने लोकसभा चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल करते समय इस ‘‘आपराधिक पृष्ठभूमि’’ का खुलासा नहीं किया था। याचिका में कहा गया है कि गलत हलफनामा दाखिल करना या आपराधिक मामलों के संबंध में हलफनामे में कोई जानकारी छुपाना जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 125ए का उल्लंघन है और इसके लिए छह महीने की कैद का प्रावधान है।

निर्वाचन आयोग की ओर से पेश वकील सिद्धांत कुमार ने कहा कि चूंकि चुनाव बिहार में हुआ था, इसलिए जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत यह याचिका यहां विचारणीय नहीं है। निर्वाचन आयोग और केंद्र के वकील ने कहा कि चुनाव याचिका याचिकाकर्ता द्वारा उचित उच्च न्यायालय के समक्ष दायर की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत यह अनिवार्य है कि जो भी चुनाव याचिका इन मानदंडों को पूरा नहीं करती है, उसे खारिज कर दिया जाना चाहिए। अदालत ने कहा, ‘‘प्रावधानों को पढ़ने से यह स्पष्ट हो जाता है कि किसी निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका केवल उसी उच्च न्यायालय में दायर की जा सकती है जिसके अंतर्गत चुनाव हुआ हो।’’