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शत्रु संपत्ति व अन्य मामलों में आजम खान पर आरोप तय, 10 अप्रैल को अगली सुनवाई

UP: समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता मोहम्मद आजम खान के विरुद्ध 100 से अधिक मामले दर्ज हैं जिनकी सुनवाई अदालतों में चल रही है ऐसे ही दो मुकदमें शत्रु संपत्ति कब्जा करने तथा एक मुकदमा नदी की भूमि पर कब्जा कर जौहर यूनिवर्सिटी कैंपस में मिलाने के मामले में रामपुर की एमपी एमएलए कोर्ट में आरोप तय हो गए हैं। आरोप तय होने के बाद अब अदालती कार्रवाई में तेजी आ जायेगी और अब इस मामले की अगली सुनवाई के 10 अप्रैल की तारीख तय की गई है।

इस विषय पर वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी अमरनाथ तिवारी ने बताया। देखिए एमपी एमएलए विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट शोभित बंसल जी की न्यायालय में थाना अजीम नगर में पंजीकृत मुकदमा नायाब तहसीलदार केजी मिश्रा के द्वारा दर्ज कराया गया था। यह धारा लोक संपत्ति अधिनियम से संबंधित मामला है। इसमें मोहम्मद आजम खान, तंजीम फातिमा, मोहम्मद अब्दुल्ला आजम खान, नसीर अहमद खान, अदीब आजम, मुश्ताक अहमद सिद्दीकी, निगत अखलाक, जकी उर रहमान सिद्दीकी और मोहम्मद फसी जेडी के विरुद्ध चार्ज शीट आई थी। 

इसमें माननीय न्यायालय ने इन लोगों के विरुद्ध आरोप प्रेषित किया है। यह मामला यह था कि चिकन खेड़ा का माजरा अलीयागंज तहसील सदर रामपुर में स्थित शत्रु संपत्तियों को अभियुक्त गढ़ ने अवैध रूप से कब्जा करके जौहर विश्वविद्यालय की चार दिवारी के अंदर कर लिया और उस पर कब्जा कर लिया। जिसके संबंध में यह मुकदमा लिखाया गया है जिसमें आप प्रेषित कर दिए गए हैं अग्रिम तिथि 10 अप्रैल नियत की गई है वादी मुकदमा को साक्षी के लिए तलब किया गया है।

यह पूछे जाने पर आरोप तय होने का क्या मतलब होता है? इस पर वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी ने बताया। आरोप तय करने का मतलब आरोप बनाया जाता है कि अभियुक्त गढ़ के विरुद्ध यह आरोप है माननीय न्यायालय के द्वारा आरोप बनाया जाता है कि आपके ऊपर यह आरोप है कि आपने इस शत्रु संपत्ति को अवैध रूप से कब्जे में कर लिया इसकी चार्ज शीट न्यायालय में आई है आपको संज्ञान है आपको क्या कहना है तो विचार की मांग करते हैं उस विचार की कार्रवाई हुई है। इस मामले में अब अगली तारीख 10 अप्रैल 2024 लगी है। 

इसमें एक और मुकदमे में आरोप बना है जिसमें मात्र तीन लोग अभियुक्त हैं मोहम्मद आजम खान, रोशन अली कुरेशी जो जौहर यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार थे और आले हसन जो जौहर यूनिवर्सिटी के सुरक्षा अधिकारी थे। इसको भी नायाब तहसीलदार केजी मिश्रा ने लिखवाया था। इसमें यह आरोप है कि एक सरकारी संपत्ति जो नदी की संपत्ति है उस नदी की भूमि को जौहर यूनिवर्सिटी की चार दिवारी में कब्जा कर ले लिया था। इसके संबंध में जब नायाब तहसीलदार की टीम पैमाइश कर रही थी तो यह सभी लोग सरकारी काम में बाधा पहुंचाएं और सरकारी टीम पर हमलावर हुए, जिसके संबंध में मुकदमा लिखा गया है इसमें भी न्यायालय द्वारा आरोप प्रेषित किया गया है और वादी मुकदमा को साक्षी के लिए 10 अप्रैल को तलब किया गया है।

रिपोर्ट- अरविन्द भटनागर