Breaking News

X और क्लाउडफ्लेर दुनियाभर में हुए डाउन, यूजर्स नहीं कर पा रहे लॉगइन     |   मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, सम्राट चौधरी गांधी मैदान पहुंचे, शपथ ग्रहण समारोह की तैयारी का जायजा लिया     |   सोनभद्र खदान हादसा: कुल सात शव बरामद, रेस्क्यू ऑपरेशन बंद किया गया     |   एक बोतल खून देने के नाम पर जिनका खून सूख जाता है, वो किडनी देने पर उपदेश देते हैं: रोहिणी आचार्य     |   बिहार में नई सरकार की कवायद तेज, प्रेम कुमार बनाए जा सकते हैं स्पीकर     |  

गणेश गोदियाल की ताजपोशी से कांग्रेस में जोश, राजनीतिक तापमान दिखाई दे रहा हाई

Uttarakhand: उत्तराखंड कांग्रेस में नई टीम आते ही राजधानी में पार्टी का राजनीतिक तापमान हाई दिखाई दे रहा है। प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल के पदभार के कार्यक्रम ने देहरादून में शक्ति प्रदर्शन का पूरा माहौल खड़ा कर दिया है। 2027 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस ने साफ कर दिया अब पार्टी बैकफुट पर नहीं, अटैक मोड में कार्य करेगी। अब नए प्रदेश अध्यक्ष 2027 के विधान सभा चुनाव में क्या कमाल दिखाते है। यह तो आने वाला वक्त बतायेगा। फ़िलाल कांग्रेस के कार्यकर्ताओ में नई ऊर्जा का संचार जरूर दिखाई दे रहा है।

जॉलीग्रांट एयरपोर्ट से ही गणेश गोदियाल का स्वागत किसी साधारण कार्यक्रम जैसा नहीं, पूरी तरह चुनावी शो ऑफ जैसा दिखा ढोल- नगाड़े, आतिशबाज़ी, फूल वर्षा और लगातार बढ़ता रोड शो, जिसने कांग्रेस कार्यकर्ताओं में महीनों बाद ऐसा जोश देखने को मिला, काफिले के साथ बढ़ती भीड़ ने ये साफ कर दिया कि नए अध्यक्ष की एंट्री ने संगठन की नसों में नई ऊर्जा भर दी है छोलिया नृत्य से लेकर रास्ते भर लगी कतारों तक  कांग्रेस ने पूरी राजधानी में राजनैतिक मौजूदगी दर्ज कराई

कांग्रेस भवन पहुंचते ही माहौल और तेज़ हुआ,आतिशबाज़ी, ज़ोरदार नारे और सैकड़ों कार्यकर्ताओं की भीड़ विधायक, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष, वरिष्ठ नेता, सभी एक मंच पर दिखे, मानो पार्टी ने 2027 की शुरुआती लाइन तैयार कर दी हो,कांग्रेस में लंबे समय से चल रही ढिलाई, खेमेबाज़ी और असमंजस के बीच का ये शो ऑफ एक बड़ा संकेत माना जा रहा है, नेताओं का दावा,यह बदलाव सिर्फ चेहरे का नहीं, कांग्रेस के लड़ाई के तेवर का संकेत है

गणेश गोदियाल उत्तराखंड के प्रमुख कांग्रेस नेता हैं, जिन्होंने लगभग 22 वर्षों में विधायक, प्रदेश अध्यक्ष और अन्य महत्वपूर्ण भूमिकाओं के माध्यम से अपनी मजबूत राजनीतिक पकड़ बनाई है। उनका सफर ग्रामीण पृष्ठभूमि से शुरू होकर राज्य स्तर की नेतृत्व भूमिका तक पहुंचा है, जहां उन्होंने बीजेपी के दिग्गज नेताओं को चुनौती दी। गोदियाल ब्राह्मण समुदाय से आते हैं और उनकी संवाद शैली तथा जमीन से जुड़ाव उन्हें लोकप्रिय बनाता है। उनका राजनीतिक करियर मुख्य रूप से पौड़ी गढ़वाल क्षेत्र पर केंद्रित रहा है।

प्रारंभिक जीवन और राजनीति में प्रवेश
गोदियाल का जन्म उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले में हुआ। वे स्नातक हैं और व्यवसाय (सिविल ठेकेदारी) से जुड़े रहे। राजनीति में उनका प्रवेश 2002 में हुआ, जब उत्तराखंड राज्य के गठन के बाद पहले विधानसभा चुनाव में उन्हें कांग्रेस ने थलीसैंण विधानसभा सीट से टिकट दिया। उन्होंने बीजेपी के दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' को कड़ी टक्कर देकर जीत हासिल की। यह उनकी पहली बड़ी राजनीतिक जीत थी, जो पार्टी में उनकी पहचान बनाई।

विधायकी के दौर में जीतें और चुनौतियां
2002: थलीसैंण से विधायक बने। यह सीट पौड़ी गढ़वाल में महत्वपूर्ण है।
2012: सीटों के परिसीमन के बाद श्रीनगर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े और बीजेपी के धन सिंह रावत (तत्कालीन शिक्षा एवं स्वास्थ्य मंत्री) को हराकर दोबारा विधायक चुने गए। यह जीत उनके राजनीतिक कद को और मजबूत करने वाली थी।
2017: श्रीनगर से तीसरी बार चुनाव लड़े, लेकिन बीजेपी के उम्मीदवार से हार गए।
2022: श्रीनगर से फिर चुनाव लड़े, जहां वे बीजेपी के धन सिंह रावत से करीबी मुकाबले में हार गए। इस दौरान वे कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष थे, लेकिन पार्टी की हार के बाद इस्तीफा दे दिया।

कुल मिलाकर, उनके नाम पर 2 जीतें (2002, 2012) और 3 हारें (2017, 2022, तथा 2024 लोकसभा) दर्ज हैं। 2024 में वे गढ़वाल लोकसभा सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार थे, लेकिन राजपूत नेता अनिल बलूनी से हार गए।

2022 के विधान सभा चुनाव में गणेश गोदियाल ने प्रदेश कमान संभालते हुए चुनाव लड़वाने का काम किया था, जिसमें 2017 में कांग्रेस को 11 सीटे ही मिल पाई थी, जिसके बाद गणेश गोदिया ने अपनी रणनीति से कांग्रेस को 19 सीटों पर पहुंचा दिया था। 

2002 में कांग्रेस को 36 सीटें कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनी, एन.डी. तिवारी मुख्यमंत्री बने।
2007 में कांग्रेस को 21 सीटें ओर बीजेपी बहुमत के करीब रही।
2012 में कांग्रेस को 32 सीटें से कांग्रेस की सरकार बनी ओर विजय बहुगुणा मुख्यमंत्री बने।
2017 में कांग्रेस को 11 सीटें मिली ओर बीजेपी को भारी बहुमत से 57 सीटें मिली।
2022 में कांग्रेस को 19 सीटें मिली और बीजेपी की फिर से सरकार बनी ओर 47 सीटें मिली।

वहीं भाजपा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष पर तंज कस रही है। भाजपा प्रदेश प्रवक्ता कमलेश रमन का कहना है। कांग्रेस पार्टी पहले अपनी गुटबाजी को रोकने की जरूरत है। पार्टी में उनके वरिष्ठ नेता पार्टी खिलाफ मोर्चा खोल रहे है। 2027 का चुनाव कांग्रेस  पार्टी भूल जाए। 

भले ही राजधानी में आज कार्यकर्ताओं के तेवर और नेताओं का जोश 2027 विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस की आक्रामक एंट्री जैसा दिखा हो, लेकिन असली परीक्षा अब सड़क की भीड़ नहीं, मैदान की रणनीति होगी क्योंकि स्वागत की आतिशबाज़ी और नारेबाज़ी एक दिन की होती है, पर 2027 तक जोश को टिकाना ही कांग्रेस की सबसे बड़ी चुनौती है। 2022 में जिस रणनीति के तहत कांग्रेस की सीट बढ़ाने में कामयाब हुए थे। इस बार भी की है ऐसा कमाल दिखा पाएंगे या नहीं।