मेरठ कोतवाली के गुदड़ी बाजार में तिहरे हत्याकांड में इजलाल कुरैशी समेत 9 दोषियों को जहां कोर्ट पहले उम्रकैद की सजा सुना चुकी है। वहीं, इस मामले में एक ओर आरोपी शम्मी को कोर्ट ने शनिवार को उम्रकैद की सजा सुना दी। शुक्रवार को कोर्ट ने शम्मी को तिहरे हत्याकांड में दोषी करार दिया था।
तिहरे हत्याकांड में कोर्ट ने अगस्त 2024 को 10 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। 6 कैदियों इजहार, देवेंद्र आहूजा, वसीम, अब्दुल रहमान उर्फ कलुवा, बदरुद्दीन और रिजवान को आगरा सेंट्रल जेल भेजा जा चुका है। इजलाल कुरैशी, उसके भाई अफजाल और महराज व शीबा सिरोही मेरठ जेल में हैं।
ये हुई थी वारदात
आपको बता दें 23 मई 2008 की दोपहर बागपत और मेरठ जिले की सीमा पर बालैनी नदी के किनारे तीन युवकों के शव पड़े मिले। इनकी पहचान मेरठ निवासी सुनील ढाका (27) निवासी जागृति विहार, पुनीत गिरि (22) निवासी परीक्षितगढ़ रोड और सुधीर उज्ज्वल (23) निवासी गांव सिरसली, बागपत के रूप में हुई।
पुलिस जांच में सामने आया कि 22 मई की रात तीनों की हत्या कोतवाली के गुदड़ी बाजार में हाजी इजलाल कुरैशी ने अपने भाइयों और साथियों के साथ मिलकर की। पुलिस ने इस मामले में 14 आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया।
1 अगस्त 2024 को कोर्ट ने 10 आरोपियों इजलाल कुरैशी पुत्र इकबाल, अफजाल पुत्र इकबाल, महराज पुत्र मेहताब, कल्लू उर्फ कलुआ पुत्र हाजी अमानत, इजहार, मुन्नू ड्राइवर उर्फ देवेंद्र आहूजा पुत्र विजय, वसीम पुत्र नसरुद्दीन, रिजवान पुत्र उस्मान, बदरुद्दीन पुत्र इलाहीबख्श पर हत्या समेत तमाम धाराओं और शीबा सिरोही पर हत्या के लिए उकसाने के आरोपों को सही मानते हुए दोषी करार दिया था।
हत्याकांड के दो आरोपी इसरार और माजिद की मौत हो चुकी थी। एक आरोपी शम्मी जेल में है, उसका ट्रायल चल रहा है। परवेज को नाबालिग बताए जाने के चलते हाईकोर्ट में अपील पेंडिंग है।
अब जानिए इन युवकों की हुई थी हत्या।
शीबा और इजलाल की आबूलेन पर हुई थी पहली मुलाकात एमबीए पास शीबा सिरोही की मां मेरठ के नामचीन सीबीएसई स्कूल की प्रिंसिपल थी। पति सेना में कैप्टन थे। शीबा सिरोही का अपने पति से विवाद चल रहा था। पिता की मौत हो चुकी थी। मां ने मेरठ से दुबई चली गई थी।
जहां शीबा गंगानगर के राधा गार्डन में अकेली रहती थी। साल 2006 में शीबा सिरोही अपनी एक सहेली के साथ आबूलेन स्थित नामचीन ब्रेकरी पर गई थी। वहां शीबा को उसकी जान पहचान का एक युवक मिला। उसके साथ इजलाल कुरैशी भी था। शीबा के उसी जानकार ने इजलाल से मुलाकात कराई।
जिसने इजलाल को शीबा के परिचित ने हिंदू नाम बताकर मिलवाया था। दूसरी मुलाकात में इजलाल ने शीबा का नंबर ले लिया। बातें होनी लगी। इजलाल का रुआब और पैसे देखकर शीबा उसके करीब पहुंच गई। इजलाल शीबा को लेने राधा गार्डन जाता था। पूरी काॅलोनी में इस बात का पता चल चुका था कि शीबा का जिसके साथ आना-जाना है, वो कोतवाली के गुदड़ी बाजार का मीट कारोबारी इजलाल कुरैशी है।
वही मेरठ कॉलेज में पढ़ने वाले राधा गार्डन के एक लड़के ने यह बात अपने जानकार सुधीर उज्ज्वल, सुनील ढाका और पुनीत गिरि को बताई। उनसे कहा कि दूसरे समुदाय का लड़का काॅलोनी में आकर शीबा को साथ बिठाकर ले जाता है। सुनील, सुधीर और पुनीत ने इजलाल को वहां जाने से मना किया लेकिन वो नहीं माना।
तीनों की इजलाल के साथ मारपीट हुई। फिर कुछ लोगों की मध्यस्थता के बाद तीनों की इजलाल से करीबियां हो गईं। शीबा इजलाल को तीनों से बात करने से रोकती थी। लेकिन इजलाल के दिमाग में कुछ ओर ही चल रहा था। वो पिटाई का बदला लेना चाहता था।
इस तरह दिया था वारदात को अंजाम
जिसके बाद 22 मई 2008 की रात सुनील ढाका, सुधीर और पुनीत गिरि विक्टोरिया पार्क में स्वीमिंग पूल में दोस्तों के साथ नहा रहे थे। इजलाल ने तीनों को बात करने के बहाने गुदड़ी बाजार बुलाया। तीनों एस्टीम कार से गुदड़ी पहुंचे। यहां पर विवाद हुआ।
इसके बाद इजलाल ने सबसे पहले सुधीर उज्जवल को तीन गोलियां मारकर चबूतरे के भीतर जीने के नीचे फेंक दिया। धारदार हथियार से भी कई जगह वार किए। इजलाल ने अपने भाइयों और साथियों से सुनील और पुनीत को पकड़ने के लिए कहा। दोनों को पाइपों से पीटा। मुर्गा बनाया। छुरों से गले काटे गए।