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21 साल से सजा काट रहे कैदी ने लिखी किताब, जेल में बंद लोगों का जीवन संवारने में की समर्पित

मेरठ की चौधरी चरण सिंह जिला कारागार में सज़ायाफ़्ता कैदी रजनीश कुमार ने एक किताब लिखी है जिसका नाम है "मेरा आईना"। रजनीश पिछले 21 साल से जेल में बंद है और तीन हत्याओं के मामले में उसको आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। उसने किताब लिखी है कि मुश्किल परिस्थितियों में सकारात्मक दृष्टिकोण कैसे बनाए रखें। कैदी की किताब छपवाने में जेल प्रशासन ने भी उसका पूरा साथ दिया है। फिलहाल उसकी 300 किताब छापकर तैयार हैं और इनको अब उत्तर प्रदेश की हर जेल की लाइब्रेरी में भेजे जाने की तैयारी है। मेरठ जेल के वरिष्ठ जेल अधीक्षक डॉक्टर वीरेश राज शर्मा ने बताया कि आखिर यह किताब क्यों और किस लिए लिखी गई है और यह क्या संदेश देती है।

आपको बता दें मेरठ के भावनपुर क्षेत्र के ग्राम लालपुर में 1999 में एक ट्रिपल मर्डर की घटना हुई थी जिसमें 6 लोगों को गिरफ्तार कर सलाखों के पीछे भेजा गया था। 4 से 5 वर्ष ट्रायल चल और इसके बाद सभी छह आरोपियों को न्यायालय ने आजीवन कारावास की सजा सुना दी। इनमें शामिल था 21 वर्ष का रजनीश कुमार जिसके जीवन का सफर मानो शुरू होने से पहले ही खत्म हो गया और वह 21 साल से जेल में बंद है। जब वो जेल आया था तब उस ने 12वीं की थी। रजनीश परिवार का इकलौता बेटा था और सलाखों के पीछे जाते ही वह अवसाद में गिर गया लेकिन उसने हार नहीं मानी सलाखों के पीछे उसने किताब लिखना शुरू किया। वह जेल में बैठकर अक्सर लिखता रहता था और मेरठ की चौधरी चरण सिंह जेल के वरिष्ठ जेल अधीक्षक डॉक्टर वीरेश राज शर्मा ने रजनीश के सपने को पूरा किया और एक एनजीओ द्वारा उसकी किताब का प्रकाशन के लिए भेज दिया। एक सजायाफ्ता कैदी द्वारा छपी इस किताब का 26 जनवरी को दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉक्टर श्रीनिवास त्यागी ने विमोचन किया।

जहां रजनीश की किताब अब छापकर तैयार हो चुकी है और उसमें 18 अध्याय हैं और 213 पेज है। हर अध्याय के जरिए रजनीश ने एक अच्छी सीख देने का काम किया है। एक अध्याय में उसने जिंदगी के उतार-चढ़ाव से जूझने का मंत्र दिया है।

वहीं इस किताब के बारे में सजायाफ्ता कैदी रजनीश ने बताया कि यह पुस्तक सिखाती है कि जीवन एक संघर्ष है और जीवन के संघर्ष में हार मानकर हमें निराशा में डूबकर जीवन को तबाह नहीं करना चाहिए बल्कि इस संघर्ष में मुकाबला करते हुए अपने जीवन के उद्देश्य एवं सपनों को पूरा करना चाहिए।

इस किताब के बारे में जब हमने मेरठ जेल के वरिष्ठ जेल अधीक्षक डॉक्टर वीरेश राज शर्मा से बात की तो, उन्होंने बताया कि हमारे एक बंद रजनीश ने एक पुस्तक लिखी है जिसका नाम "मेरा आईना" दिया गया है। यह पुस्तक उसके जीवन के अनुभव के ऊपर है क्योंकि वह 21 साल से जेल में बंद है।

उसको 22वां साल लग रहा है। वह पहले मुजफ्फरनगर जेल में रहा है और फिर अब मेरठ की चौधरी चरण सिंह जेल में है। इसमें रजनीश के द्वारा बताया गया है की किस तरह अपने समय का सदुपयोग जेल में रहकर किया जा सकता है। किस तरह जेल में रहकर पॉजिटिव सोच को बरकरार रखा जा सकता है। जो जेल में रहने के दौरान डिप्रेशन आता है उससे लड़ने के लिए किस प्रकार लेखन और पढ़ाई दोनों के माध्यम से स्वयं को बचाया जा सकता है और अन्य कैदियों के लिए भी यह संदेश दिया गया है यदि आप जीवन में कुछ कर सकते हैं तो दूसरे व्यक्तियों के लिए करें। अगर कोई घटना किसी व्यक्ति के साथ हुई है जिसके कारण उसे जेल में आना पड़ा और लंबे समय से जेल में बंद है तो इसका मतलब यह नहीं है कि आप अपने जीवन को समाप्त कर ले।

हमारा यह उद्देश्य है कि हम बंदियों को ऐसा वातावरण दें जिससे उनकी जो प्रतिभा है उसको सामने लाया जा सके। यह उत्तर प्रदेश की जेल की पहली ऐसी पुस्तक है जो एक कैदी ने लिखा है। प्रदेश की हर लाइब्रेरी में हम इसको भेजने का प्रयास कर रहे हैं। जेल की एक लाइब्रेरी होती है 70 जिलों में हम इसको भेजने का प्रयास कर रहे हैं ताकि हम बंदियों को प्रेरणा दे सकें कि एक बंदी जेल में रहकर भी किसी प्रकार अपने समय का सदुपयोग कर सकता है। रजनीश 302 की धारा में ट्रिपल मर्डर में बंद है इसको आजीवन कारावास की सजा हुई है। रजनीश जेल में बहुत अच्छे काम करता है और कैदियों का जीवन बेहतर बनाने के लिए उनका सहयोग भी करता है। 

अभी 300 किताबें पहले लौट में आई हैं। 300 प्रति अभी इसकी और आ रही हैं। कैदी और इसके प्रकाशक के पास इसका कॉपीराइट्स रहेगा जैसा चाहे यह अपने आप करें 50-50 प्रतिशत का इनका आपस में तय हुआ है ₹250 की कीमत इसकी रखी गई है और अभी 300 किताबें निशुल्क आई हैं।

उन्होंने बताया कि यह समय-समय पर कागज अपना अनुभव लिखता रहता था और मुझे दिखता था तो मैंने उससे पूछा क्या चाहते हो तो उसने कहा कि मैं इसको एक किताब के रूप में देखना चाहता हूं तो हमने एक एनजीओ से बात की और किताब का रूप दिया गया। जो बंदी इसको एक बार पढ़ लेगा वह कभी झगड़ा नहीं बल्कि वह सुधार की तरफ जाएगा।

इस किताब को कितना भी बड़ा अपराधी पढ़ लेगा तो वह अपराध छोड़ देगा। अगर आपके जीवन में कोई एक घटना हो गई है जिस कारण आप अपराध में चले गए हैं तो उस अपराध की वजह से पूरा जीवन नष्ट नहीं करना चाहिए। पूरे जीवन को समाप्त नहीं करना चाहिए बल्कि अपराध छोड़कर के दूसरों के हित में काम करना चाहिए यह इस किताब का मुख्य संदेश है।