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ग्रामीण आजीविका मिशन ने बदली जिंदगी, योगी राज में सशक्त और आत्म निर्भर हो रही हैं गांव की गृहणियां

प्रयागराज: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार सूबे की आधी आबादी को स्वावलंबी बनाने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है जिससे ग्रामीण क्षेत्र में बदलाव भी नजर आने लगा है। ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़ने वाली महिलाओं की जिंदगी बदलने लगी है। एनआरएलएम से मिलने वाली ऋण सुविधाओं का उपयोग कर घरेलू महिलाएं खुद उद्यमी बनकर गांव की दूसरी महिलाओं को भी आत्म निर्भर बना रही हैं। 

डगरइया गांव की रीता की बदल गई जिंदगी
यूपी में महिला स्वयं सहायता समूह से जुड़ी घरेलू महिलाएं आत्मनिर्भरता और उद्यमिता की नई पटकथा लिख रही हैं। प्रयागराज मंडल के फतेहपुर जिले की ग्रामीण महिला रीता देवी भी उनमें से एक है।  मलवा विकास खंड के डगरइया गांव की रहने वाली रीता देवी बताती है कि उनके पति एक सीमांत किसान हैं। कच्चा मकान था, किसी तरह बड़ी मुश्किल से गुजर बसर होता था। एक दिन स्थानीय महिलाओं से ग्रामीण आजिविका मिशन की जानकारी हुई। जिसके बाद 2017 में 10 महिलाओं के साथ मिलकर जय संतोषी मां महिला स्वयं सहायता समूह बनाया। समूह के जरिए 1 लाख 40 हजार रुपए का ऋण सीसीएल फंड से लिया और गांव में मत्स्य पालन का काम शुरू किया। आज उनके पास मत्स्य पालन के 3 टैंक हैं जिनसे 15 से 20 हजार हर महीने वह कमा रही है। रीता का कहना है कि इसी पैसे से उसने और काम शुरू किया है। पहले एक ब्यूटी पार्लर खोला उससे उसकी आमदनी और बढ़ी। आज उसका अपना पक्का घर बनवाया और अपने दो बच्चों को पढ़ाई के लिए मुंबई भेज दिया। 

गांव की अन्य महिलाओं के लिए रोल मॉडल बनी रीता
ग्रामीण आजीविका मिशन से ग्रामीण महिलाओं की जिंदगी में बड़ा बदलाव आया है। फतेहपुर के उपायुक्त एनआरएलएम (स्वत: रोजगार) मुकेश कुमार बताते हैं कि जिले में एनआरएलएम के अंतर्गत अब तक 18344 महिला स्वयं सहायता समूहों का गठन किया जा चुका है। इन समूहों के माध्यम से 1,95,000 परिवार आच्छादित किए गए हैं। जागरूक महिलाओं ने अन्य महिलाओं को भी प्रेरित किया है जिससे आत्मनिर्भरता का यह कारवां तेजी से आगे बढ़ रहा है। जागरूक महिलाओं में रीता देवी भी शामिल है जिसने मत्स्य पालन के तीन टैंक से स्वरोजगार का काम काम शुरू किया और अब 12 महिलाओं के साथ मिलकर मशरूम उत्पादन का कार्य शुरू कर रही है।