Uttar Pradesh: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शनिवार को संभल ज़िले में सरकारी ज़मीन पर बनी मस्जिद, मैरिज हॉल और अस्पताल पर चल रही बुलडोज़र कार्रवाई को रोकने से इंकार कर दिया। अदालत ने मुस्लिम पक्ष द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया। यह मस्जिद रायन बुज़ुर्ग गांव (थाना असमोली क्षेत्र) में एक तालाब की ज़मीन पर बनाई गई थी। मामले की सुनवाई जस्टिस दिनेश पाठक की एकल पीठ ने की।
जिला प्रशासन के अनुसार, यह मस्जिद करीब 550 वर्ग फुट क्षेत्र में लगभग 10 साल पहले गांव के ही व्यक्ति मिंजर हुसैन द्वारा बनवाई गई थी, जो मस्जिद के मौलाना भी हैं। प्रशासन को यह निर्माण तब पता चला जब ज़िले में अवैध कब्जों का सर्वे चल रहा था।
इसके बाद प्रशासन ने उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 की धारा 67 के तहत कार्रवाई शुरू की। 2 सितंबर 2025 को सक्षम प्राधिकारी ने आदेश जारी किया था, जिसके खिलाफ मस्जिद कमेटी ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी।
2 अक्टूबर को जिला प्रशासन की टीम, डीएम और एसपी की मौजूदगी में बुलडोज़र लेकर मौके पर पहुँची थी। प्रशासन ने पहले मस्जिद के बगल में बने मैरिज हॉल को तोड़ा। जब बुलडोज़र मस्जिद की ओर बढ़ा तो स्थानीय लोगों ने चार दिन का समय मांगा और खुद मस्जिद हटाने का आश्वासन दिया। इसके बाद लोगों ने बाउंड्री वॉल खुद तोड़ना शुरू कर दिया।
इसके बावजूद, मस्जिद के मुतवल्ली मिंजर हुसैन ने शुक्रवार को हाईकोर्ट में बुलडोज़र कार्रवाई पर रोक लगाने की याचिका दायर की। शनिवार को हुई सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता निचली अदालत में स्थगन के लिए आवेदन दे सकते हैं। कोर्ट ने यह भी माना कि रिकॉर्ड से यह साफ है कि याचिकाकर्ता पहले से ही धारा 67 की कार्रवाई में शामिल थे।
सरकार की ओर से मुख्य स्थायी अधिवक्ता जे.एन. मौर्य और अधिवक्ता आशीष मोहन श्रीवास्तव, जबकि मस्जिद कमेटी की ओर से अरविंद कुमार त्रिपाठी और शशांक श्री त्रिपाठी ने पक्ष रखा। अंत में अदालत ने याचिका निस्तारित करते हुए कहा कि फिलहाल बुलडोज़र कार्रवाई पर कोई रोक नहीं लगाई जाएगी।