भारत में चाइनीज कंपनियों पर कार्रवाई की शुरुआत कोरोना के साथ ही साल 2020 में शुरू हुई थी जो कि अभी तक जारी है। अब भारत सरकार ने दो ऐसी चाइनीज कंपनियों पर कार्रवाई की है जिनके पावरबैंक भारत में सबसे ज्यादा बिकते हैं। भारतीय सरकार ने लिथियम बैटरी आयात करने वाली दो प्रमुख कंपनियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है और एक तीसरी कंपनी की जांच कर रही है। यह कदम चीन से आयातित घटिया गुणवत्ता वाले पावर बैंकों की बढ़ती बिक्री के जवाब में उठाया गया है।
चीन से आयात किए गए कई पावरबैंक दावा की गई क्षमता का केवल 50-60% ही प्रदान करते हैं। भारतीय कंपनियां इन कम गुणवत्ता वाली बैटरियों को सस्ते दामों पर खरीदकर बाजार में सस्ते उत्पाद बेचती हैं। इससे न केवल बाजार में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा प्रभावित होती है, बल्कि ग्राहकों को सुरक्षा और परफॉरमेंस के मामले में गुमराह भी किया जाता है।
इस महीने की शुरुआत में भारतीय मानक ब्यूरो ने दो चीनी बैटरी आपूर्तिकर्ताओं Guangdong Cvasun New Energy Technology, Ganzhou Novel Battery Technology के पंजीकरण रद्द कर दिए। ये दोनों कंपनियां भारत में उपयोग होने वाली लिथियम बैटरियों का 50% से अधिक हिस्सा आपूर्ति करती थीं। एक तीसरी कंपनी, Ganzhou TaoYuan New Energy की जांच जारी है।
सरकारी अधिकारियों द्वारा किए गए रैंडम परीक्षणों में पाया गया कि अधिकांश पावरबैंक अपनी विज्ञापित क्षमता पर खरे नहीं उतर रहे थे। उदाहरण से समझें तो 10,000mAh का दावा करने वाले कुछ पावरबैंकों में केवल 4,000-5,000 mAh की बैटरी पाई गई। इन कंपनियों ने BIS से मंजूरी पाने के लिए सीमित संख्या में अच्छे पावरबैंक के नमूने भेजे।
मंजूरी मिलने के बाद, ये कंपनियां कम बैटरी क्षमता और खराब क्वालिटी वाली बैटरी भारतीय ब्रांड्स को बेच रही थीं। इन घटिया बैटरियों के कारण लागत में 25% तक की कमी होती थी, जिससे उपभोक्ताओं को घटिया उत्पाद खरीदने के लिए मजबूर किया जा रहा था।