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कुश्ती के अखाड़े से लेकर हरियाणा के सियासी दंगल तक विनेश फोगाट का सफर

कुश्ती के अखाड़े की आइकन और मजबूत खिलाड़ी विनेश फोगाट आज राजनीति में जाना-पहचाना चेहरा हैं। पेरिस ओलंपिक में वजन ज्यादा होने की वजह से विनेश का गोल्ड लाने का सपना टूट गया था। हालांकि सियासी दंगल में विनेश का दांव चल गया। आज उनकी पहचान रेसलर के साथ-साथ कांग्रेस की नई चुनी गई विधायक के रूप में भी है।

विनेश जुलाना विधानसभा सीट से चुनाव जीतकर विधायक बनीं हैं। उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर पहली बार चुनाव लड़ा और छह हजार से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज की।

विनेश नौ साल की थी जब उन्होंने अपने पिता को खो दिया। पिता के जाने के दर्द ने उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से तोड़ दिया। लेकिन विनेश हार मानने वालों में से नहीं है। उन्होंने कुश्ती में अपने करियर पर फोकस किया।

पेरिस ओलंपिक 2024 के वक्त 50 किलोग्राम की कैटेगरी में विनेश ने फाइनल में जगह बनाई, लेकिन मुकाबले से पहले 100 ग्राम वजन ज्यादा होने की वजह से उन्हें डिसक्वालीफाई कर दिया गया। विनेश भले ही रेसलिंग की रिंग में आखिरी दांव न लगा पाई हों, लेकिन सियासत के दंगल में वो बाकियों पर भारी पड़ीं।

राजनीति में कदम रखने से पहले विनेश कई वजहों से सुर्खियों में रहीं। भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह पर उन्होंने कथित तौर पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया। साथी पहलवानों के साथ उन्होंने दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना दिया तो पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया।

विनेश फोगाट का जीवन काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा है। अगर आने वाले वक्त में उन पर बॉलीवुड में बायोपिक बनाने का ऐलान किया जाता है तो किसी को इसमें ताज्जुब नहीं होना चाहिए।