New Delhi: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने गुरुवार को न्यूयॉर्क में यूएन जनरल असेंबली के सत्र के दौरान कहा कि दुनिया को अब वैश्विक श्रमिक शक्ति (Global Workforce) की जरूरत को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि कई देशों की अपनी जनसंख्या से श्रमिकों की मांग पूरी करना मुश्किल है।
जयशंकर का यह बयान ऐसे समय आया है जब अमेरिका में ट्रेड और टैरिफ की चुनौतियाँ हैं और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इमिग्रेशन पर कड़ा रुख अपनाया है। हाल ही में ट्रंप ने H-1B वीज़ा पर 1 लाख डॉलर का नया शुल्क लगाया है, जो मुख्य रूप से भारतीय पेशेवरों को प्रभावित करता है।
ORF (Observer Research Foundation) द्वारा आयोजित कार्यक्रम में जयशंकर ने कहा, "यह एक वास्तविकता है, इससे बचा नहीं जा सकता। वैश्विक श्रमिकों को कहाँ रखा जाए, यह राजनीतिक बहस का विषय हो सकता है। लेकिन मांग और जनसांख्यिकी के अनुसार, कई देशों की मांग केवल अपनी राष्ट्रीय जनसंख्या से पूरी नहीं की जा सकती।"
उन्होंने एक आधुनिक और कुशल वैश्विक श्रमिक मॉडल की भी आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा, "हमें एक ऐसा मॉडल बनाना होगा जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वितरित हो सके और विभिन्न क्षेत्रों में काम कर सके। यह आज की अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा सवाल है।"
H-1B वीज़ा कार्यक्रम लंबे समय से अमेरिका में भारतीय पेशेवरों के लिए मददगार रहा है। यह वीज़ा आईटी, चिकित्सा और इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रों में विदेशी कुशल श्रमिकों को काम करने की अनुमति देता है।
जयशंकर ने कहा कि ट्रंप का नया 1 लाख डॉलर का शुल्क, पहले से ही उच्च फाइलिंग और कानूनी लागतों के अलावा, इस कार्यक्रम को महंगा और मुश्किल बना सकता है, जिससे न केवल आवेदक बल्कि नियोक्ता भी प्रभावित होंगे।