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अमेरिका से निष्कासित भारतीयों का दूसरा बैच अमृतसर पहुंचा, अमानवीय व्यवहार की दास्तां सुनाई

Punjab: अमेरिका में गैर-कानूनी रूप से रहने वाले 116 प्रवासी भारतीयों को लेकर विशेष अमेरिकी विमान शनिवार रात पंजाब के अमृतसर पहुंचा। पंजाब के कई निर्वासित लोगों ने अमेरिका जाने में आई मुश्किलों को याद किया, जबकि अंत में उनका जाना बेकार रहा। कई निष्कासित लोगों ने बताया कि उन्हें अमानवीय हालात में भारत लाया गया। कुछ लोगों ने कहा कि यात्रा के दौरान उनके हाथ-पैर हथकड़ी-बेड़ियों में बांध दिए गए थे।

ट्रैवल एजेंटों को भारी-भरकम रकम देकर गैर-कानूनी तरीके से अमेरिका जाने वाले निष्कासित प्रवासी युवाओं से अपील कर रहे हैं कि अगर वे अमेरिका जाना चाहते हैं तो कानूनी तरीके से ही जाएं।

अमेरिका से निष्कासित प्रवासियों के परिवार को उनके सही-सलामत लौटने का सुकून है। साथ में उनके बेहतर भविष्य के नाम पर बेकार में खर्च किए गए पैसों का दर्द भी। उन्होंने ट्रैवल एजेंटों को देने के लिए कर्ज लिए थे। अब वे सरकार से कर्ज से मुक्ति दिलाने में मदद की अपील कर रहे हैं। डोनाल्ड ट्रंप सरकार ने जब से गैर-कानूनी प्रवासियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की है, उसके बाद से भारतीय प्रवासियों के दो बैच आ चुके हैं। शनिवार को आए दूसरे बैच में 116 निष्कासित भारतीय हैं। 

अमेरिका से निष्कासित प्रवासी, फिरोजपुर निवासी सौरव ने बताया कि, "सीमा पार करके हम एक पहाड़ी इलाके में पहुंचे। उसे पार करने में दो-तीन घंटे लगे। पार करते ही पुलिस आ गई और हमें पकड़कर थाने ले गई। वहां हमें दो-तीन घंटे तक रखा गया। फिर उन्होंने हमें एक शिविर भेज दिया। पहले कोई कार्रवाई नहीं की गई। बाद में उन्होंने हमारी उंगलियों के निशान, तस्वीरें और दस्तखत लिए। हमें शिविर में करीब 15-18 दिन तक रखा गया। उस दौरान कोई बयान नहीं लिया गया। दो दिन पहले हमें बताया गया कि हमें दूसरे शिविर भेजा जा रहा है। बाद में बताया गया कि हमें वापस भारत भेजा जा रहा है।"

अमेरिका से निष्कासित प्रवासी, तरन तारण निवासी ने जसपाल सिंह बताया, "मुझे अमेरिका जाने में 18 महीने लगे। मैं 18 महीने पहले घर से निकला था। मैंने अपना पासपोर्ट दे दिया और फिर गया। वहां पहुंचने के बाद मुझसे अच्छा व्यवहार नहीं किया गया। मुझे सिर्फ टी शर्ट पहने ठंड में रखा गया। तापमान शून्य से 30 डिग्री सेल्सियस नीचे था। वे सिर्फ मुझे जिंदा रहने लायक खाना देते थे।"

अमेरिका से निष्कासित प्रवासी, अमृतसर के जितेंदर सिंह ने कहा, "35-36 घंटे का सफर था, पैरों में बेड़ियां थीं। मतलब की हमें बाथरूम जाना होता था कि इतनी दिक्कत थी, परेशानी थी कोई सहीं नहीं था, ठीक नहीं था। खाने-पीने के लिए हाथ ऊपर नहीं आता था। अपना फेस नीचे करना होता था। टोटल उसमें पांच बार खाना दिया और पांचों बारी यही दिया, लेस और पानी की बोतल। तो ये पास में नजदीक बैठा हो, उसके साथ में धीरे-धीरे बात करना, मतलब की ऊंची आवाज में बात भी नहीं करने देते। साइलेंट बोलते थे, मतलब की अपनी भाषा में गाली भी देते थे।"