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इस्तीफ़े के बाद ओली की एंट्री, क्या दोबारा पकड़ पाएंगे सियासी जमीन?

Nepal: नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री और सीपीएन-यूएमएल के अध्यक्ष केपी शर्मा ओली ने शनिवार को तीन हफ्तों बाद पहली बार सार्वजनिक रूप से उपस्थिति दर्ज कराई। वे 8 सितंबर को हुए “जेन-ज़ी विरोध प्रदर्शनों” (Gen Z Protests) के बाद राजनीतिक दबाव में पद से इस्तीफा दे चुके थे।

ओली ने 9 सितंबर को इस्तीफा दिया था और तब से वे सार्वजनिक रूप से नज़र नहीं आए। पहले वे नेपाल आर्मी की सुरक्षा में रहे और बाद में अस्थायी निवास में चले गए। शनिवार को उन्होंने पार्टी की युवा इकाई राष्ट्रीय युवा संघ द्वारा आयोजित भक्तपुर के एक कार्यक्रम में हिस्सा लिया।

जेन-ज़ी आंदोलन और हिंसा
नेपाल में हाल ही में हुए प्रदर्शनों को “Gen Z Revolution” कहा जा रहा है। यह आंदोलन भ्रष्टाचार खत्म करने, राजनीतिक जवाबदेही और सोशल मीडिया बैन हटाने की मांग को लेकर शुरू हुआ था। प्रदर्शन मुख्य रूप से युवाओं और छात्रों द्वारा किए गए।

8 सितंबर को सुरक्षा बलों की कार्रवाई में कम से कम 21 प्रदर्शनकारियों की मौत हुई, जिनमें ज्यादातर 30 साल से कम उम्र के छात्र थे। अगले दिन 39 और लोग मारे गए, जिनमें 15 गंभीर जलने की वजह से मरे। अगले दस दिनों में 14 और मौतें हुईं। कुल मिलाकर अब तक 74 लोगों की जान जा चुकी है।

प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन के पास नारेबाज़ी की और जब पुलिस ने बल प्रयोग किया तो भीड़ ने संसद के गेट को तोड़कर आग लगा दी। जवाब में पुलिस ने वाटर कैनन, आंसू गैस और गोलियां तक चलाईं।

सत्ता परिवर्तन
हिंसा और बढ़ते जनदबाव के बीच ओली ने इस्तीफा दे दिया और पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री बनाया गया। संसद भंग हो चुकी है और अगले साल मार्च में चुनाव होने हैं।

राजनीतिक महत्व
विशेषज्ञों का मानना है कि ओली का यह पब्लिक अपीयरेंस युवाओं और पार्टी कैडर को जोड़ने की कोशिश है, जबकि जनता का बड़ा वर्ग अभी भी उनसे नाराज़ है। उनकी वापसी को नेपाल की अस्थिर राजनीति में एक रणनीतिक कदम माना जा रहा है।