US: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने H-1B वीजा में बड़ा बदलाव करते हुए इसकी फीस बढ़ा दी है। अब इस वीजा के लिए लोगों को करीब 1 लाख डॉलर (लगभग 90 लाख रुपये) देना होगा। ट्रंप का कहना है कि नए नियमों से केवल अच्छे और उच्च कौशल वाले लोग ही अमेरिका में काम के लिए आएंगे, जिससे अमेरिकी नागरिकों की नौकरियों की सुरक्षा भी बनी रहेगी।
H-1B वीजा खासकर भारतीयों के बीच बहुत लोकप्रिय है। हजारों भारतीय इस वीजा की मदद से अमेरिका में नौकरी पाते हैं। आम तौर पर अमेरिकी आईटी कंपनियां इस वीजा की फीस और खर्च उठाती हैं।
अमेरिका के कॉमर्स सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने कहा कि नए नियमों के तहत बड़ी कंपनियों को अब विदेशियों को प्रशिक्षण देने के लिए अतिरिक्त पैसा देना होगा। अगर कंपनियां अमेरिकी नागरिकों या अमेरिका के विश्वविद्यालयों से पढ़े युवाओं को प्रशिक्षण देती हैं, तो यह नियम लागू नहीं होगा।
H-1B वीजा की नई फीस
वर्तमान में रजिस्ट्रेशन फीस: 215 डॉलर (लगभग 1,900 रुपये)
फॉर्म 129 के लिए फीस: 780 डॉलर (लगभग 68,000 रुपये)
नए नियमों के तहत फीस: करीब 1 लाख डॉलर
अमेरिकी सांसद जिम बैंक्स ने पहले ही H-1B वीजा की फीस बढ़ाने की मांग की थी।
भारतीयों के लिए H-1B वीजा का महत्व
अमेरिकी H-1B वीजा का सबसे बड़ा लाभ भारतीयों को होता है।
कुल वीजा में से 71% भारतीयों को मिलते हैं।
दूसरे नंबर पर चिली (11.7%) है।
2025 तक अमेज़न ने लगभग 12,000 H-1B वीजा अप्रूव करवाए, जबकि माइक्रोसॉफ्ट और मेटा ने लगभग 5,000 वीजा लिए।
H-1B वीजा क्या है?
H-1B वीजा उन लोगों को मिलता है जो अमेरिका में नौकरी करना चाहते हैं। यह वीजा 6 साल तक वैध होता है। इसके तहत व्यक्ति अपने परिवार (पत्नी/पति और बच्चे) को भी अमेरिका ले जा सकता है और बाद में अमेरिकी नागरिकता के लिए आवेदन कर सकता है।
नए नियमों के बाद H-1B वीजा भारतीय युवाओं के लिए महंगा और मुश्किल हो सकता है, जिससे अमेरिका में नौकरी पाने की प्रक्रिया चुनौतीपूर्ण हो जाएगी।