अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने साफ कर दिया है कि उनके देश की टैरिफ पॉलिसी भारत पर भी लागू होगी। राष्ट्रपति ट्रंप ने आयात पर पारस्परिक शुल्क लगाने की अपनी योजना को लागू कर दिया है, इससे ग्लोबल ट्रेड वॉर और बढ़ना तय माना जा रहा है।
अमेरिका की टैरिफ पॉलिसी में साफ तौर पर बताया गया है कि जो देश अमेरिका पर जैसा टैक्स लगाएगा, अमेरिका भी उस पर उतना ही टैक्स लगाएगा। टैरिफ पॉलिसी किसी देश के राजस्व का मुख्य स्रोत होता है। एंटी-डंपिंग, काउंटरवेलिंग या सुरक्षा शुल्क भी टैरिफ का ही हिस्सा है।
2021 से 2024 के दौरान अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार रहा। वित्तीय वर्ष 2024-25 में अप्रैल से नवंबर के बीच दोनों देशों का द्विपक्षीय व्यापार 82.52 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा था। दोनों देशों के बीच ट्रेड डिफरेंस 23.26 बिलियन अमेरिकी डॉलर का रहा था जो भारत के पक्ष में है।
यहां ये समझना भी जरूरी है कि अमेरिका को टैरिफ क्यों लगाना पड़ा। ये टैरिफ दूसरे देश से मंगाए गए सामान को महंगा करने, घरेलू निर्माण को बढ़ावा देने और रोजगार बढ़ाने के उद्देश्य से सभी देश लगाते हैं। टैरिफ से कुछ नुकसान भी होते हैं। इससे घरेलू उद्योग के लिए जरूरी कच्चा माल महंगा हो जाता है।
भारत के कुल माल निर्यात में अमेरिका की हिस्सेदारी लगभग 18 प्रतिशत, आयात में 6.22 प्रतिशत और द्विपक्षीय व्यापार में 10.73 प्रतिशत है। विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप दोनों देशों के बीच व्यापार अंतर को बराबर करने के लिए टैरिफ पॉलिसी लेकर आए हैं क्योंकि 2023-24 में अमेरिका का व्यापार घाटा 35.31 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा था।