केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को कोविंद समिति की सिफारिश के अनुसार ‘एक देश, एक चुनाव’ के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने ये जानकारी दी। ‘एक देश, एक चुनाव’ पर गठित उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल के सामने रखी गई। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति ने लोकसभा चुनावों की घोषणा से पहले मार्च में रिपोर्ट सौंपी थी।
वैष्णव ने बताया कि रिपोर्ट को सर्वसम्मति से मंजूरी दी गई। रिपोर्ट को मंत्रिमंडल के सामने रखना विधि मंत्रालय के 100 दिवसीय एजेंडे का हिस्सा था। उच्च स्तरीय समिति ने पहले कदम के रूप में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने और उसके बाद 100 दिनों के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव कराने की सिफारिश की थी।
समिति ने उसकी सिफारिशों को लागू करने के लिए एक ‘कार्यान्वयन समूह’ गठित करने का भी प्रस्ताव रखा था। समिति ने भारत के निर्वाचन आयोग के राज्य निर्वाचन प्राधिकारियों से विचार-विमर्श कर एक साझा मतदाता सूची और मतदाता पहचान पत्र बनाने की भी सिफारिश की। अभी लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराने की जिम्मेदारी भारत के निर्वाचन आयोग की है जबकि नगर निगमों और पंचायतों के लिए स्थानीय निकाय चुनाव राज्य निर्वाचन आयोग कराते हैं।
समिति ने 18 संवैधानिक संशोधनों की सिफारिश की, जिनमें से ज्यादातर को राज्य विधानसभाओं के समर्थन की जरुरत नहीं होगी। हालांकि, इसके लिए कुछ संविधान संशोधन विधेयकों की जरूरत होगी जिन्हें संसद से पास कराना होगा। एक मतदाता सूची और एक मतदाता पहचान पत्र के संबंध में कुछ प्रस्तावित संशोधनों के लिए कम से कम आधे राज्यों के समर्थन की जरूरत होगी। इसके अलावा, विधि आयोग भी एक साथ चुनाव कराने पर अपनी रिपोर्ट जल्द ही पेश कर सकता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक साथ चुनाव कराने के मजबूत समर्थक रहे हैं। सूत्रों ने कहा कि विधि आयोग सरकार के तीन स्तरों - लोकसभा, राज्य विधानसभाओं, नगर पालिकाओं और पंचायतों जैसे स्थानीय निकायों के लिए 2029 से एक साथ चुनाव कराने और त्रिशंकु सदन जैसे मामलों में एकता सरकार बनाने के प्रावधान की सिफारिश कर सकता है।