पांच वर्षों के लंबे इंतजार के बाद कैलाश मानसरोवर यात्रा आज से शुरू हो रही है। यह यात्रा धार्मिक आस्था, अध्यात्म और रोमांच से जुड़ी दुनिया की सबसे कठिन और पवित्र यात्राओं में से एक मानी जाती है। कोविड-19 महामारी और उसके बाद उत्पन्न हुई भौगोलिक और कूटनीतिक परिस्थितियों के चलते यह यात्रा पिछले कुछ वर्षों से स्थगित थी। कैलाश मानसरोवर, जो तिब्बत में स्थित है, हिन्दू धर्म में भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है। इसके साथ ही यह स्थल जैन, बौद्ध और तिब्बती बोन धर्म के अनुयायियों के लिए भी अत्यंत पवित्र है। हर साल हजारों श्रद्धालु भारत से इस यात्रा के लिए जाते हैं, जो शारीरिक और मानसिक रूप से अत्यंत चुनौतीपूर्ण मानी जाती है।
इस वर्ष यात्रा को लेकर भारत और चीन के बीच आवश्यक समन्वय और सहमति बनने के बाद श्रद्धालुओं को सीमित संख्या में यात्रा की अनुमति दी गई है। भारत सरकार ने यात्रियों की सुरक्षा, चिकित्सा सहायता और आधारभूत सुविधाओं को लेकर विशेष इंतजाम किए हैं। विदेश मंत्रालय और कुमाऊं मंडल विकास निगम की निगरानी में यात्रा का संचालन होगा। श्रद्धालुओं को यात्रा से पूर्व फिटनेस प्रमाणपत्र और पासपोर्ट जैसे दस्तावेजों की जांच के बाद अनुमति दी गई है। यात्रियों के लिए दो मार्ग निर्धारित किए गए हैं एक उत्तराखंड के लिपुलेख दर्रे से और दूसरा अरुणाचल प्रदेश के नाथू ला पास से होकर जाता है।
पहले जत्थे को आज दिल्ली से रवाना किया गया। यात्रियों के चेहरों पर उत्साह और भक्ति का अद्भुत संगम देखने को मिला। कई श्रद्धालुओं ने भावुक होकर कहा कि यह सिर्फ एक यात्रा नहीं, बल्कि उनके जीवन का सबसे बड़ा आध्यात्मिक अनुभव है। यात्रा के दौरान श्रद्धालु मानसरोवर झील में स्नान करते हैं और कैलाश पर्वत की परिक्रमा करते हैं, जिसे अत्यंत पुण्यदायक माना जाता है। माना जाता है कि इस पर्वत की एक परिक्रमा करने से जन्म-जन्मांतर के पापों से मुक्ति मिलती है। सरकार ने यात्रियों से अपील की है कि वे सभी निर्देशों और स्वास्थ्य सुरक्षा उपायों का पालन करें, ताकि यह पुनः आरंभ हुई यात्रा सफल, सुरक्षित और भक्ति से परिपूर्ण बनी रहे।