भारतीय चाहते थे कि कोई उनके देश का ही गांधी का रोल करे. लेकिन फिल्म के डायरेक्टर रिचर्ड एटनबरो के मन में कुछ और चल रहा था. वो अपना मन बना चुके थे, फिल्म के लिए किसे कास्ट करना है. उन्होंने इस ‘गांधी’ के लिए अपने 20 साल दिए. 70 के दशक में ‘गांधी’ के सिलसिले में उनका भारत आना-जाना बढ़ गया था.
जब नसीर को स्क्रीन टेस्ट के लिए लंदन बुलाया गया
उस समय तक चारों ओर खबर फैल चुकी थी कि वो ‘गांधी’ के लिए लीड एक्टर तलाश रहे हैं. नसीर तक भी ये बात पहुंची. उन्हें लग रहा था कि अगर उनका सेलेक्शन होता है, तो पूरी दुनिया में नाम होगा, उन्हें नई पहचान मिलेगी . इसी चक्कर में वो रिचर्ड से मिलने लंदन गए. वहां उनका स्क्रीन टेस्ट भी हुआ. भारतीय मीडिया में खबरें चलने लगीं कि कोई भारतीय एक्टर ही गांधी बनेगा. पर नसीर को रिजेक्ट कर दिया गया या रिजेक्ट करने के लिए ही उनका स्क्रीनटेस्ट लिया गया था.