Breaking News

IPL 2024: राजस्थान ने चेन्नई को दिया 142 रनों का टारगेट     |   दिल्ली: चांदनी चौक की एक दुकान में लगी आग, दमकल की 13 गाड़ियों को मौके पर भेजा गया     |   आज पटना में रोड शो करेंगे पीएम मोदी, शाम 6:30 बजे से होगी शुरुआत     |   संदेशखाली पुलिस ने एक BJP कार्यकर्ता को किया अरेस्ट, पार्टी कार्यकर्ताओं ने शुरू किया विरोध प्रदर्शन     |   हरियाणा: फ्लोर टेस्ट के लिए विशेष सत्र बुला सकती है सरकार     |  

उत्तराखंड की नंदा देवी राज जात यात्रा का महत्व

हमारा प्यार उत्तराखंड! देवभूमि उत्तराखंड में कई धार्मिक चीज़े होती है जिन पर वहां रहने वाले लोगों की आस्था जुड़ी होती है। इनमें से एक है उत्तराखंड में हर 12 साल में होने वाली नंदा देवी राज जात यात्रा। ये यात्रा एशिया की सबसे लंबी पेदल धार्मिक यात्रा है। 

नंदा देवी राज जात यात्रा 280 किलोमीटर की यात्रा है जो चमोली के नौटी गांव से शुरू होती है इसमें अलग अलग जगह से अलग अलग डोलिया शामिल होती है, और फाइनली होमकुंड में इस यात्रा का एंड होता है। 

नंदा देवी राज जात यात्रा 20 दिन की होती है रास्ते में 20 अलग अलग पड़ाव से होकर गुजरना पड़ता है। हर पड़ाव का अपना एक अलग महत्व और रोल होता है। 
इसी यात्रा में नाम आता है chausingya khadu का जो इस यात्रा को लीड करता है। यात्रा के खत्म होने के बाद इसको होमकुंड में छोड़ दिया जाता है, कहा जाता है कि वहां से कैलाश  तक की यात्रा ये खुद तेय करता है। 

लास्ट टाइम ये यात्रा 2014 में हुई थी और अब ये सीधा 2026 में होगी। इस यात्रा को करने की अलग अलग कहानियां है, पर सबसे महत्वपूर्ण कहानी के अनुसार पहाड़ों की आरध्या कही जाने वाली नंदा देवी एक बार अपने ससुराल आई थी और 12 साल बाद लौटकर  कैलाश यानि अपने पति शिव भगवान के पास गई थी। इस दौरान गांव के लोगों ने भव्य तरीके से उनकी देखभाल करी और वापस उनको ससुराल छोड़ा था और तभी से ये यात्रा हर 12 साल में होती है।