जेएनयू छात्रसंघ चुनाव के नतीजों की घोषणा के बाद वामपंथी और एबीवीपी छात्र नेताओं के बीच वाकयुद्ध शुरू हो गया। वामपंथी उम्मीदवारों ने चार में से तीन पदों पर कब्जा कर लिया और विश्वविद्यालय में अपना दबदबा कायम रखा। इस बीच आरएसएस से जुड़े एबीवीपी ने संयुक्त सचिव का पद जीतकर नौ साल के लंबे गैप को खत्म कर दिया।
छात्रसंघ के अध्यक्ष पद पर कब्जा जमाने वाले नीतीश कुमार ने कहा, "कैंपस को बेहतर बनाने के लिए हम हमेशा तालमेल बनाने की कोशिश करेंगे लेकिन एबीवीपी की ताकत कभी कैंपस की बेहतरी के लिए काम नहीं किया है। 2015-16 में भी जब ज्वाइंट सेक्रेटरी के पद पर चुनकर आया था सौरभ शर्मा तो उसने कैंपस को बंद करने का काम किया। शट डाउन कैंपस कैंपेन चलाया और इसी कारण 10 सालों तक इस कैंपस ने एबीवीपी को कैंपस से बाहर रखा। उसको रिजेक्ट किया। लेकिन आज इस कैंपस के स्टूडेंट ने मैंडेड दिया है एबीवीपी को, हम यही उम्मीद करते हैं कि बतौर ज्वाइंट सेक्रेटरी वो इस कैंपस की बेहतरी के लिए काम करेंगे न कि कैंपस को बर्बाद करने के लिए करेंगे।"
वहीं एबीवीपी के नेता और छात्रसंघ के ज्वाइंट सेक्रेटरी वैभव मीना ने कहा, "हमारे साथी प्रत्याशी जो थे, अंत तक लड़ाई में थे। बहुत क्लोज मार्जीन से हमारे साथी लोग हारे हैं तो इस कैंपस में पूरी युद्ध की बयार थी और हम लोग जीतकर आए हैं। ये सिर्फ एक दिन, एक महीने की मेहनत का फल नहीं है, पिछले दशकों से विद्यार्थि परिषद के कार्यकर्ता इस कैंपस में वामपंथियों से जूझ रहे थे, लड़ रहे थे। राष्ट्रवाद के लिए लड़ रहे थे, ये उन सबकी जीत है।"