New Delhi: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रैप) के फेज चार के तहत आपातकालीन उपायों में ढील देने से इनकार कर दिया और इसे दो दिसंबर तक जारी रखने का आदेश दिया है।
न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि न्यायालय आयुक्तों की तरफ से पेश दूसरी रिपोर्ट में ग्रैप चार के प्रतिबंधों को सही से लागू करने में अधिकारियों की "घोर लापरवाही" देखी गई है।
पीठ ने कहा, हम ये साफ करते हैं कि स्कूलों के संबंध में संशोधित उपायों को छोड़कर ग्रैप चार के सभी उपाय सोमवार तक लागू रहेंगे। इस बीच, वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग एक बैठक करेगा और ग्रैप चार से ग्रैप तीन या ग्रैप दो में जाने के बारे में सुझाव देगा। हम ये भी साफ करते हैं कि ये जरूरी नहीं है कि ग्रैप चार में दिए गए सभी उपायों को खत्म कर दिया जाए। पीठ ने कहा कि ग्रैप-चार के तहत प्रतिबंधों को लागू करने में "गंभीर चूक" के लिए अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई में तेजी लाने की जरूरत है।
पीठ ने पंजाब से जुड़ी एक मीडिया रिपोर्ट पर गौर किया, जिसमें एक भूमि रिकॉर्ड अधिकारी और संगरूर ब्लॉक पटवारी यूनियन के अध्यक्ष ने खुले तौर पर किसानों को सैटेलाइट से बचने के लिए शाम चार बजे के बाद पराली जलाने की सलाह देने की बात स्वीकार की थी।
पीठ ने कहा, "हम इस खबर की सत्यता के बारे में नहीं जानते हैं, लेकिन अगर ये सही है तो ये बहुत गंभीर है। (पंजाब) राज्य के अधिकारी किसी भी किसान को इस तथ्य का फायदा उठाने की मंजूरी नहीं दे सकते हैं कि वर्तमान में दिन के कुछ घंटों के दौरान होने वाली गतिविधियों का पता लगाया जा रहा है। पंजाब सरकार को तुरंत सभी अधिकारियों को निर्देश जारी करना चाहिए कि वे ऐसी किसी भी गतिविधि में शामिल न हों।"
ग्रैप-चार प्रतिबंध विशेष रूप से राष्ट्रीय राजधानी में गैर-ज़रूरी सामान ले जाने वाले ट्रकों की एंट्री को प्रतिबंधित करने से जुड़ा हैं। 2017 में पहली बार लागू किया गया ग्रैप वायु प्रदूषण से निपटने के उपायों का एक सेट है, जिसका पालन स्थिति की गंभीरता के अनुसार राजधानी और उसके आसपास के क्षेत्रों में किया जाता है।