New Delhi: डोपिंग के आंकड़ों में भारत के शर्मनाक रिकॉर्ड को सुधारने के लिये तेजी से उपाय किये जा रहे हैं और हाल ही में जारी 2024 के अंतरराष्ट्रीय टेस्टिंग आंकड़ों में ‘पॉजीटिव’ मामलों की दर में समग्र रूप से आई कमी इसका सबूत है कि जागरूकता अभियानों का असर हो रहा है। खेल मंत्रालय के एक सूत्र ने यह जानकारी दी।
विश्व डोपिंग निरोधक एजेंसी द्वारा जारी ताजा टेस्टिंग आंकड़ों के अनुसार भारत में पिछले साल 7113 टेस्ट (6576 मूत्र के और 537 रक्त के नमूने) कराये गए। इनमे से 260 नतीजे नकारात्मक आये और ‘पॉजीटिविटी’ (सकारात्मक मामले) दर 3.6 प्रतिशत रही जो 5000 या अधिक टेस्ट कराने वाले प्रमुख देशों में सबसे ज्यादा है।
भारत लगातार तीसरे साल सूची में शीर्ष पर रहा जिससे अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति जब 2036 ओलंपिक खेलों की मेजबानी की उसकी दावेदारी का करेगी तो विपरीत असर पड़ सकता है। यह पूछने पर कि क्या खेल मंत्रालय इस डोपिंग रिकॉर्ड को लेकर चिंतित है, सूत्र ने कहा कि 2023 की तुलना में आंकड़ों में कमी आई है।
सूत्र ने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘‘2023 में 3.8 से यह दर 3.6 हो गई है जबकि टेस्ट की संख्या में इजाफा हुआ था। इस साल भी 7000 से अधिक टेस्ट कराये जा चुके हैं और हमारी पॉजीटिविटी दर एक प्रतिशत से ऊपर है तो सुधार को अनदेखा नहीं किया जा सकता।’’
उन्होंने कहा, ‘‘खिलाड़ियों और कोचों को सरकारी नौकरी पाने के लालच से उबरना होगा जिसकी वजह से ये डोपिंग के मामले होते हैं। कई मामले अनजाने में होते हैं मसलन प्रतिबंधित पदार्थ वाली दवा लेना लेकिन ‘नो योर मेडिसिन’ जैसे ऐप से इससे बचा जा सकता है।’’
चीन ने 2024 में 24214 टेस्ट कराये और उसकी ‘पॉजीटिविटी’ दर 0.2 प्रतिशत ही रही। भारतीय खेलों पर छाया एक और संकट घरेलू फुटबॉल सत्र पर लगा विराम है चूंकि राष्ट्रीय महासंघ को फुटबॉल खेल विकास लिमिटेड (एफएसडीएल) के साथ 10 साल का करार खत्म होने के बाद कोई वाणिज्यिक साझेदार नहीं मिल रहा। मंत्रालय इसे लेकर अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ और इंडियन सुपर लीग तथा आई लीग क्लबों जैसे हितधारकों के साथ मशविरा कर रहा है।
इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) क्लबों ने शुक्रवार को देश की शीर्ष स्तरीय पेशेवर फुटबॉल लीग के मूलभूत पुनर्गठन का औपचारिक प्रस्ताव रखा जिसके तहत अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) को खेल के नियामक के रूप में बरकरार रखते हुए क्लबों के स्वामित्व वाली लीग मॉडल के लिए स्थायी परिचालन और वाणिज्यिक अधिकार मांगे।
सूत्र ने कहा, ‘‘प्रस्ताव आते रहते हैं लेकिन यह तय है कि लीग होगी। इस पूरे विवाद में यह नहीं भूल सकते कि उच्चतम न्यायालय ने ऐसे संविधान को मंजूरी देकर जो कि फीफा को स्वीकार्य नहीं होगा, स्थिति अजीब कर दी है चूंकि यह न्यायालय को दखल की अनुमति देता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘फुटबॉल इस समय जहां है, उसमे एआईएफएफ पूरी तरह से निर्दोष नहीं कहा जा सकता लेकिन न्यायालय को भी समझना होगा कि महासंघ की स्वायत्ता अपरिवर्तनीय है।’’ सूत्र ने यह भी बताया कि बहु प्रतीक्षित राष्ट्रीय खेल पुरस्कारों की घोषणा अगले महीने हो जायेगी।