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STF ने हथियार तस्कर को किया अरेस्ट, पंजाब से लाकर वेस्ट यूपी में करता था सप्लाई

Meerut News: एसटीएफ मेरठ की यूनिट ने हथियार तस्कर विपिन कुमार को बागपत के वाजिदपुर से गिरफ्तार किया है। विपिन कुख्यात हथियार तस्कर अनिल बंजी गैंग से जुड़ा हुआ है। आरोपी पंजाब से लाकर पूरे वेस्ट यूपी में हथियार सप्लाई करते थे। इस पूरे मामले में मेरठ एसटीएफ के एसपी बृजेश कुमार सिंह ने बताया कि 23 नवंबर को टीम ने रोहन पुत्र राकेश कुमार निवासी ग्राम लोहडा बड़ौत को 17 अवैध बंदूकों और 700 कारतूस के साथ गिरफ्तार कर जेल भेजा था। उसके खिलाफ कंकरखेड़ा थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी।

आपको बता दें 2024 में अनिल बंजी अरेस्ट हुआ था गिरफ्तारी के दौरान हथियार तस्करी करने वाला सरगना अनिल बालियान उर्फ अनिल बंजी निवासी ग्राम सिसौली भौराकलां मुजफ्फरनगर फरार हो गया था। 20 दिसंबर 2024 को एसटीएफ ने अनिल बंजी को गिरफ्तार कर लिया। उसके कब्जे से यूएस मेड राइफल और कार्बाइन बरामद हुई थी। जांच में विपिन के भी तस्करी में शामिल होने की बात सामने आई थी। एसटीएफ टीम उसकी गिरफ्तारी के लिए लगी हुई थी।

वही एसपी बृजेश कुमार सिंह ने बताया कि विपिन ने पूछताछ में बताया है कि उसकी रोहन से काफी समय से जान पहचान थी। रोहन ने उसे बताया था कि वह अवैध असलहे बेचने काम करता था। रोहन ने उससे कहा था कि अगर तुम इसमें शामिल हो जाओ तो काफी मुनाफा होगा। करीब सात-आठ महीने पहले रोहन व उसके साथियों ने उसे 30 बोर का एक अवैध पिस्टल डेढ़ लाख रुपये में दिया था, जिसे विपिन ने विजय निवासी किनौनी मेरठ को दो लाख रुपये में बेच दिया था। वह पैसा कमाने के लालच में रोहन व उसके साथी अनिल बालियान उर्फ बंजी से जुड़ गया था।

जिसके बाद रोहन ने विपिन से कहा था कि वह एवं उसके साथी अनिल बालियान पंजाब से अवैध बंदूकें, पिस्टल व कारतूस लेकर आएंगे, जिनमें से कुछ असलहा व कारतूस सप्लाई करने के लिए तुमको देंगे। विपिन से कहा था कि उन हथियारों को अपने जान-पहचान के किसी ऐसे आदमी को ही बेचना जो मामले को लीक न करे।

एसटीएफ ने 23 नवंबर 2024 को मेरठ में यूपी पुलिस के दरोगा के बेटे रोहन को 17 बंदूकों के साथ गिरफ्तार किया था। अनिल बंजी और तीन अन्य साथी फरार हो गए थे। जो बंदूक बरामद हुईं थी, वे किसी लोकल फैक्ट्री में नहीं बनी थी। ये सब लाइसेंसी पुराने हथियार थे।

जिनको गन हाउस मालिक द्वारा फर्जी तरीके से गैंग को बेचा जा रहा था। हथियार तस्करी का गैंग लीडर अनिल बंजी इन हथियारों को प्रोफेशनल बदमाशों को सप्लाई करता था। अनिल बंजी मेरठ में सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि विवि के प्रोफेसर पर जानलेवा हमले में जेल गया था। जमानत पर छूटने के बाद व फिर से हथियार तस्करी करने लगा। 20 दिसंबर को एसटीएफ ने अनिल बंजी को गिरफ्तार कर लिया था।

जहां गन हाउस पर नए हथियारों के अलावा ऐसे पुराने हथियार भी होते हैं जिनको लाइसेंस होल्डर सरेंडर कर देते हैं। अगर किसी लाइसेंस होल्डर की मौत हो गई और उसके परिवार वालों ने लाइसेंस नहीं बनवाया तो उसे परमिशन लेकर गन हाउस पर बेच दिया जाता है। बहुत से लोग हथियार पुराने होने की वजह से बेच देते हैं।

नए लाइसेंस वाले लोग अमूमन नए हथियार ही लेते हैं। ऐसे में गन हाउस पर पुराने काफी हथियार होते हैं। अनिल बंजी ऐसे ही गन हाउस से सांठगांठ करके इन हथियारों को 40 से 50 हजार रुपए प्रति बन्दूक तथा 100 रुपए प्रति कारतूस (315 बोर) खरीदता था।

इसके बाद इन बंदूकों को यह लोग 80 हजार से 01 लाख में और कारतूस को 200 से 250 रुपए में बेच देते थे। गन हाउस का मालिक अनिल को असलाह व कारतूस किसी अन्य व्यक्ति के नाम से फर्जी रसीद काटकर देता था। वह फर्जी रसीदें अनिल बालियान अपने पास रखता था। फिर इन हथियारों को प्रोफेशनल बदमाशों को बेचा जाता था।
 
अंतर्राज्यीय गैंग का मुख्य सरगना अनिल बालियान उर्फ अनिल बंजी पहले कुख्यात धर्मेंद्र किरठल के गैंग से जुड़ा था। साल 2013 में रोहटा रोड पर धर्मेंद्र किरठल के साथी अनिल बामडोली का मर्डर हो गया। इसमें अनिल पर मुखबिरी का शक जताया गया था। इसके बाद से धर्मेंद्र किरठल और अनिल बालियान अलग हो गए।

धर्मेंद्र से बचने के लिए अनिल बालियान ने संजीव जीवा गैंग से हाथ मिला लिया। फैजाबाद जेल में अनिल बालियान ने संजीव जीवा से मिलकर 12 लाख में एके-47 और 1300 कारतूस खरीदे। जिससे की धर्मेंद्र किरठल पर हमला करा सके।

अनिल बालियान मेरठ में रह रहा था। वह यहां प्रॉपर्टी का काम कर रहा था। सरदार पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिक विवि में वेटनरी कालेज की डॉ आरती भटेले से दोस्ती थी। आरती भटेले सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिक विवि में डीन डायरेक्टर डा. राजवीर सिंह की हत्या कराकर खुद डायरेक्टर बनना चाहती थी। इसकी जिम्मेदारी उसने अनिल बंजी को दी। डीन राजवीर पर हमले के लिए अनिल बालियान ने अनिल पिंटू से संपर्क किया। अनिल उर्फ पिंटू को राजवीर की हत्या करने के लिए एके-47 और 1300 कारतूस दिए।

लेकिन वारदात वाले दिन किसी कारण एके-47 का इस्तेमाल नहीं हो सका। जिसके बाद पिस्टल से वारदात की गई। अनिल जमानत पर छूटने के बाद हथियार तस्करी को बड़े स्तर पर अंजाम दे रहा था। सूत्रों की मानें तो ऑन डिमांड वो कोई सा भी हथियार मुहैया करा सकता था।