Himachal Pradesh: हिमाचल प्रदेश के कई अस्पतालों में आपातकालीन सेवाओं को छोड़कर बाकी सभी चिकित्सा सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुईं क्योंकि एक मरीज से हाथापाई करने वाले डॉक्टर की बर्खास्तगी के विरोध में रेजिडेंट डॉक्टर शनिवार को अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए। मरीजों और उनके साथ आए लोगों, खासतौर से दूरदराज के इलाकों से आने वालों को डॉक्टरों की अनुपलब्धता के कारण कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
एक मरीज के साथ आए कृष्ण सिंह ठाकुर ने कहा, "मैं अपने पिता के इलाज के लिए गुरुवार को शिमला से लगभग 125 किलोमीटर दूर अनी से यहां आया था लेकिन हड़ताल के कारण कोई डॉक्टर उपलब्ध नहीं है और हमें बहुत परेशानी हो रही है।" ठाकुर ने कहा कि भीषण ठंड और नए साल के आसपास भारी पर्यटक भीड़ के कारण आवास की अनुपलब्धता उनकी परेशानी को और बढ़ा रही है। उन्होंने सरकार और डॉक्टरों से मरीजों के हित में जल्द से जल्द इस मामले को सुलझाने का आग्रह किया।
एक अन्य मरीज के परिचारक दासवी राम ने बताया, "मेरी पत्नी अस्पताल में भर्ती है। आज उसका एमआरआई होना था, लेकिन हड़ताल शुरू होने के कारण अभी तक नहीं हो पाया है। हम डॉक्टरों के वापस आने का इंतजार कर रहे हैं।" इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज और राज्य भर के कई अन्य सरकारी अस्पतालों के रेजिडेंट डॉक्टर शुक्रवार को सामूहिक रूप से आकस्मिक अवकाश पर चले गए।
रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने शनिवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा करते हुए कहा कि हड़ताल के दौरान नियमित सेवाएं, ऐच्छिक ऑपरेशन थिएटर और आउट पेशेंट विभाग बंद रहेंगे और केवल आपातकालीन सेवाएं ही चालू रहेंगी। हिमाचल प्रदेश सरकार ने बुधवार को डॉ. राघव नरूला को सोमवार को एक मरीज अर्जुन सिंह के साथ कथित तौर पर हाथापाई करने के आरोप में बर्खास्त कर दिया।
ये घटना आईजीएमसी के पल्मोनरी वार्ड में हुई झड़प का वीडियो सामने आने के बाद सामने आई, जिसमें नरूला मरीज के चेहरे पर मुक्का मारते हुए दिख रहे हैं, जबकि मरीज डॉक्टर को लात मारने की कोशिश कर रहा है। अर्जुन सिंह ब्रोंकोस्कोपी के लिए अस्पताल गए थे और प्रक्रिया के बाद सांस लेने में तकलीफ की शिकायत कर रहे थे, उन्होंने आरोप लगाया कि विवाद डॉक्टर के शब्दों के चुनाव को लेकर शुरू हुआ। मरीज अर्जुन ने दावा किया कि उन्होंने डॉक्टर द्वारा उन्हें "तुम" के बजाय "तू" कहकर संबोधित करने पर आपत्ति जताई, जिससे नरूला आक्रामक हो गए।
हालांकि, नरूला का कहना था कि सिंह ने ही उनके और उनके परिवार के खिलाफ अपशब्दों का प्रयोग करके झगड़े को भड़काया था। जांच समिति की रिपोर्ट में दोनों पक्षों को दोषी पाया गया। अधिकारियों ने बताया कि समिति ने नरूला के "दुराचार, दुर्व्यवहार और लोक सेवक के लिए अशोभनीय कृत्यों" को दोषी पाया। हिमाचल मेडिकल ऑफिसर्स एसोसिएशन, शिमला मेडिकल एंड डेंटल कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन, शिमला प्राइवेट प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन और फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने डॉक्टर का समर्थन किया है।
उन्होंने डॉक्टर की बहाली, घटना की पारदर्शी, समयबद्ध और निष्पक्ष जांच और अस्पताल परिसर में अराजकता फैलाने वाले असामाजिक तत्वों के खिलाफ सख्त और त्वरित कार्रवाई की मांग की है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों। रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के सदस्यों ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से मुलाकात की थी।
मुख्यमंत्री ने अस्पताल के अंदर डॉक्टर को कथित तौर पर धमकाने और चिकित्सा सेवाओं को प्रभावित करने वाली भीड़ के खिलाफ कार्रवाई का आश्वासन दिया। उन्होंने अस्पतालों के अंदर डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए नए दिशानिर्देश और निर्देश लाने का भी वादा किया। हालांकि, डॉक्टरों ने डॉक्टर की बर्खास्तगी के आदेश को रद्द करने की मांग करते हुए हड़ताल कर दी।