दुमका (झारखंड), 13 दिसंबर (भाषा) झारखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के मुख्य संरक्षक तरलोक सिंह चौहान ने शनिवार को राज्य के संथाल परगना क्षेत्र में मानव तस्करी को एक गंभीर सामाजिक समस्या बताया।
यहां राष्ट्रीय लोक अदालत का उद्घाटन करते हुए मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि मानव तस्करी इस क्षेत्र में समाज के लिए एक गंभीर चुनौती है।
लोक अदालत पूरे राज्य में एक साथ आयोजित की गई।
उन्होंने महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि बाल श्रम को रोकना एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।
मुख्य न्यायाधीश ने डायन प्रथा को एक सामाजिक अभिशाप बताते हुए इसे खत्म करने के लिए जागरूकता और जमीनी स्तर पर कानूनों के प्रभावी कार्यान्वयन की आवश्यकता पर जोर दिया।
चौहान ने एक कानूनी सहायता क्लिनिक द्वारा प्रस्तुत लघु फिल्म की भी सराहना की और कहा कि इस तरह की रचनात्मक पहल कानूनी जागरूकता बढ़ाने के साथ-साथ आम लोगों की समस्याओं, संघर्षों और आकांक्षाओं को प्रभावी ढंग से उजागर करती है।
उच्च न्यायालय के न्यायाधीश और राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, रांची के कार्यकारी अध्यक्ष न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद ने कहा कि आज भी अंधविश्वास के कारण महिलाओं और समाज के कमजोर वर्गों को डायन के नाम पर हिंसा का शिकार होना पड़ता है।
उन्होंने कहा, ‘‘डायन जैसी कोई चीज नहीं होती। ऐसी मान्यताएं अज्ञानता और भ्रम का परिणाम हैं।’’
कार्यक्रम के दौरान लाभार्थियों को विभिन्न सरकारी कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी प्रदान की गई।
भाषा यासिर पवनेश
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