(अदिति खन्ना)
लंदन, 13 दिसंबर (भाषा) दादाभाई नौरोजी की 200वीं जयंती के उपलक्ष्य में लंदन स्थित ब्रिटिश संसद के उच्च सदन हाउस ऑफ लॉर्ड्स में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। दादाभाई नौरोजी पहले भारतीय नेता थे, जिन्होंने औपनिवेशिक काल में ब्रिटिश संसद के लिए लोकप्रिय चुनाव जीतकर इतिहास रच दिया था।
दादाभाई नौरोजी का जन्म सितंबर 1825 में मुंबई में एक पारसी परिवार में हुआ था। वह सबसे पहले 1855 में व्यापारिक कारणों से ब्रिटेन गए और बाद में वहां की राजनीतिक दुनिया में एक प्रभावशाली हस्ती बन गए।
लॉर्ड करन बिलिमोरिया ने शुक्रवार को उस बहुआयामी व्यक्तित्व के जीवन और विरासत के सम्मान में कार्यक्रम का आयोजन किया, जिन्होंने व्यवसायी, शिक्षाविद और राजनीतिज्ञ जैसी कई भूमिकाएं निभायीं। लॉर्ड करन बिलिमोरिया स्वयं एक पारसी सांसद हैं।
कोबरा बीयर के संस्थापक बिलिमोरिया ने कहा, ‘‘कई मायनों में, मैं दादाभाई नौरोजी के पदचिह्नों पर चला हूं, जो शुरू में व्यापार के लिए ब्रिटेन आए थे। उन्होंने एल्फिनस्टोन कॉलेज में प्रोफेसर के रूप में भी कार्य किया और बेशक, वे एक राजनीतिज्ञ भी थे। वह पहले भारतीय और पहले अल्पसंख्यक थे जो इस संसद के लिए निर्वाचित हुए।’’
बिलिमोरिया ने बताया कि द्विशताब्दी समारोह शुरू में सितंबर में आयोजित करने की योजना थी, ताकि इसका आयोजन उस महीने में हो जिसमें दादाभाई नौरोजी का जन्म हुआ था, लेकिन हड़ताल के कारण इसे स्थगित करना पड़ा।
ब्रिटेन में भारतीय उच्चायुक्त विक्रम दोरैस्वामी ने दादाभाई नौरोजी की विरासत और भारत और ब्रिटेन के राजनीतिक और सामाजिक जीवन में पारसी समुदाय के प्रभाव पर विचार व्यक्त किया।
दोरैस्वामी ने कहा, 'पारसी समुदाय को यह गौरव प्राप्त है कि वह शायद भारत के सबसे छोटे समुदायों में से एक है, लेकिन इसके कई सदस्य जनरल, एयर मार्शल और एडमिरल रहे हैं, जिसमें सेना के तीनों अंगों के प्रमुख भी शामिल हैं।’’
दादाभाई नौरोजी अंततः 1907 में भारत लौट गए और जून 1917 में मुंबई में उनका निधन हो गया। इस सप्ताह लंदन के हाउस ऑफ लॉर्ड्स में आयोजित द्विशताब्दी समारोह के साथ-साथ एक प्रदर्शनी भी आयोजित की गई जिसमें उनके जीवन और करियर की इन प्रमुख उपलब्धियों को दर्शाया गया।
भाषा अमित माधव
माधव