नयी दिल्ली, 13 दिसंबर (भाषा) उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए एकल नियामक स्थापित करने से संबंधित विधेयक विश्वविद्यालयों और अन्य उच्च शिक्षण संस्थानों के स्वतंत्र एवं स्वशासी बनने की राह सुगम बनाने के लिए आवश्यक है। अधिकारियों ने इसकी जानकारी दी।
अधिकारियों ने कहा कि शुक्रवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल से मंजूरी मिलने के बाद अब इस विधेयक को अगले सप्ताह संसद में पेश किए जाने की संभावना है।
प्रस्तावित विधेयक को पहले भारत का उच्च शिक्षा आयोग (एचईसीआई) विधेयक नाम दिया गया था। अब वह विकसित भारत शिक्षा अधीक्षण विधेयक के नाम से जाना जाएगा।
नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) में प्रस्तावित एकल उच्च शिक्षा नियामक का उद्देश्य विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी), अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) और राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) को प्रतिस्थापित करना है।
एक अधिकारी ने कहा,“इस विधेयक में विश्वविद्यालयों और अन्य उच्च शिक्षण संस्थानों को स्वतंत्र और स्वशासी संस्थाएं बनने में सहयोग प्रदान करने तथा मान्यता एवं स्वायत्तता की एक सुदृढ़ एवं पारदर्शी प्रणाली के माध्यम से उत्कृष्टता को बढ़ावा देने के लिए भारत में एक उच्च शिक्षा आयोग की स्थापना का प्रस्ताव है। इसे आगामी सप्ताह में संसद में पेश किए जाने की संभावना है।”
फिलहाल यूजीसी गैर-तकनीकी उच्च शिक्षा क्षेत्र की, जबकि एआईसीटीई तकनीकी शिक्षा की देखरेख करती है और एनसीटीई शिक्षकों की शिक्षा के लिए नियामक निकाय है।
प्रस्तावित आयोग को उच्च शिक्षा के एकल नियामक के रूप में स्थापित किया जाएगा, लेकिन मेडिकल और लॉ कॉलेज इसके दायरे में नहीं आएंगे। इसके तीन प्रमुख कार्य प्रस्तावित हैं-विनियमन, मान्यता और व्यावसायिक मानक निर्धारण।
भाषा राजकुमार रंजन
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